महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश के लिए सुधार किया जाना चाहिए: पूर्व न्यायाधीश चेलमेश्वर
By भाषा | Published: December 6, 2019 05:40 AM2019-12-06T05:40:08+5:302019-12-06T05:40:08+5:30
पूर्व न्यायाधीश ने मामलों में लंबी देरी, उनमें उनके द्वारा निपटाये गये मामले भी हैं, का हवाला देते हुए कहा कि मामला किसी की आलोचना करने का नहीं है, दरअसल कानून इस सिद्धांत पर काम करता कि कुछ डर होगा।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने कहा है कि जब भी सनसनीखेज अपराध होते हैं तो अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग उठती है लेकिन व्यव्यस्था को और कुशलतापूर्वक ढंग से काम करने के लायक बनाना महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश पाने के लिए जरूरी है।
दोषसिद्धि की निम्न दर पर अफसोस प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि जांच, अभियोजन और समाधान से जुड़ी व्यवस्था की कार्यकुशलता में सुधार पर अविलंब बहस होनी चाहिए और इस मुद्दे के विभिन्न पक्षों को सरकार और विधायिका के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। तेलंगाना में महिला पशुचिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के आलोक में यहां सी आर फाउंडेशन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा पर आयोजित एक बैठक में न्यायाधीश चेलमेश्वर ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुआयामी मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि जब भी कोई सनसनीखेज अपराध होता है तो अपराधियों को कड़ी सजा देने की ‘रटी-रटायी’ मांग उठती है लेकिन इन बातों में गये बगैर व्यवस्था को और कुशलतापूर्वक कार्य करने के लायक बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आपराधिक मामले करीब 30 सालों तक अनसुलझे रहते हैं और एक बार 24 सालों से लंबित एक मामला बतौर न्यायाधीश उनके समक्ष आया था। पूर्व न्यायाधीश ने मामलों में लंबी देरी, उनमें उनके द्वारा निपटाये गये मामले भी हैं, का हवाला देते हुए कहा कि मामला किसी की आलोचना करने का नहीं है, दरअसल कानून इस सिद्धांत पर काम करता कि कुछ डर होगा। उन्होंने कहा कि यदि यह हमारी कार्यकुशलता है तो मैं नहीं समझता कि अपराध करने वाला व्यक्ति क्यों डरेगा।