भाजपा ने राहुल गांधी द्वारा लंदन में दिये जा रहे बयानों को शर्मनाक बताया, कहा, "वो माओवादी प्रभाव में हैं, बंद करें देश को बदनाम करना"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 7, 2023 02:03 PM2023-03-07T14:03:32+5:302023-03-07T14:50:53+5:30
भादपा नेता रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के लंदन में दिये जा रहे बयानों पर कहा कि वो माओवाद के प्रभाव हैं। इस कारण विदेशी धरती से देश को बदनाम करने के लिए ओछी बात कह रहे हैं।
दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लंदन में अपने अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित सरकार विरोधी दिये गये अन्य बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और आरोप लगाया है कि वो माओवाद के प्रभाव में हैं। भाजपा का आरोप है कि राहुल गांधी देश को बदनाम करने के लिए विदेशी धरती पर ओछी बात कह रहे हैं।
भाजपा की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के बयान पर जवाब देते हुए मंगलवार को कहा, "हमारा स्पष्ट विश्वास है कि राहुल गांधी माओवादी विचारों के प्रभाव में ऐस कह रहे हैं। वह देश विरोधी अराजकतावादी तत्वों से घिरे हुए हैं।"
भाजपा नेता प्रसाद ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "राहुल गांधी विदेशी भूमि से भारत के लोकतंत्र, यहां की राजनीति व्यवस्था और संसदीय प्रणाली को बदनाम कर रहे हैं, जो बेहद शर्मसार कोशिश है।"
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी की संघ समेत संसदीय कार्य प्रणाली पर उनकी टिप्पणी के लिए कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कांग्रेस नेता विदेशी धरती पर केवल और केवल 'भारत को बदनाम' करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "राहुल जी ने सारी मर्यादा, सारी शालीनता और लोकतांत्रिक शर्म को भुला दिया है। अब जब देश के लोग न तो उनकी बात सुनते हैं और न ही उन्हें समझते हैं, तो वे सीधे विदेश जाते हैं और वहां पर विलाप करते हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है।"
रविशंकर प्रसाद ने कहा, "भाजपा इस बात को बड़ी पीड़ा के साथ लेकिन जोरदार ढंग से कहना चाहती है कि श्रीमान राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र, भारत की राजनीति, भारत की संसद, भारत की न्यायिक प्रणाली और सामरिक सुरक्षा को विदेशी धरती से शर्मसार करने का प्रयास किया है।"
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि राहुल गांधी ने विदेशी भूमि से भारत की आम सहमति से चुनी गई सरकार की आलोचना कर रहे हैं, इससे करोड़ों भारतीयों की भावनाएं आहत हो रही हैं। उनकी कोशिश है कि विदेशी भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षे करें लेकिन ऐसा नहीं होने जा रहा है।