राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। फैसले के बाद अमित शाह, अरुण जेटली और सीतारमण के प्रेस कॉंफ्रेंस के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉंफ्रेंस करके बीजेपी सरकार से सवाल पूछे थे। इसके बाद रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी का पलवार किया। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट से ऊपर हैं?
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गैर जिम्मेदारी को पार कर गए। राहुल ने पीएम मोदी के के लिए गाली का इस्तेमाल किया है।इसके अलावा राहुल पर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल ने पीएम स्तरहीन भाषा के प्रयोग किया था। राहुल गांधी की समस्या अहंकार है। 2006 से 2012 तक कांग्रेस ने लटकाए रखा।
उन्होंने कहा कि पिछले 1.5 साल से राहुल गांधी राफेल को लेकर देश के सामने झूठ परोस रहें थे और आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने राहुल गांधी के झूठ को बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कहा कि दसॉल्ट सबसे कम कॉन्ट्रेक्ट रख रहा था तो रोका क्यो? कोर्ट ने माना आफसेट में सरकार की भूमिका नहीं होती है। उन्होंने बताया कि राफेल डील को लेकर 74 बैठकें हुईं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के मित्रों द्वारा राफेल के सम्बन्ध में दिए गए तर्कों को हर मानक पर गलत पाया है।
जानिए राहुल गांधी ने क्या कहा था
राहुल गांधी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि देश का चौकीदार चोर है और कांग्रेस अब भी इस बात पर भरोसा करती है कि राफेल डील में घोटला हुआ है।
राहुल गांधी ने पूछा कि ये डील अनिल अंबानी को क्यों दिया गया। एचईएल से डील छीन कर अनिल अंबानी को क्यों दिया गया। राहुल गांधी ने कहा, देश की रक्षा मंत्री ने इसपर कुछ बोलने से क्यों इंकार कर दिया था? ना कीमत बताई ना कोई जानकारी दी। फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांदा कहते हैं कि राफेल डील हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था...अब ये बताइए कि पीएम कैसे रक्षा सौदो को डील करता है।
राहुल गांधी ने पूछा- विमान की कीमत ज्यादा क्यों? उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते, जेटली जी और निर्मला सीतारमण बोलती हैं।
राहुल ने पूछा कि क्यों पीएम मोदी इस मुद्दे पर नहीं बोलते हैं? CAG की रिपोर्ट PAC में क्यों नहीं आई और PAS के चेयरमैन को क्यों CAG की रिपोर्ट क्यों नहीं दिखाई गई। राहुल गांधी ने कहा कि हो सकता है पीएम मोदी कोई अलग से CAG बनाई हो, क्योंकि 21वीं सदी है यहां कुछ भी हो सकता है...और पीएम मोदी के राज में तो हर संवैधानिक चीजों की धज्जियां उड़ाई गई है...चुनाव आयोग कुछ और कहता है, सुप्रीम कोर्टकुछ और कहता है।