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इंटरनेट का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं, सर्विस बंद भी की जा सकती है: रवि शंकर प्रसाद ने संसद में दिया ये बयान

By भाषा | Updated: February 7, 2020 08:21 IST

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद राज्य में इंटरनेट को बाधित किये जाने से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में मंत्री रविशंकर प्रसाद ने स्पष्ट किया कि इंटरनेट के उपयोग का अधिकार महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी तरफ देश की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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ठळक मुद्देइंटरनेट का दुरुपयोग सिर्फ भारत ही नहीं, समूची दुनिया के लिये खतरा है और इसके मद्देनजर ही सुरक्षा कारणों से इस सेवा को रोकना पड़ता है- रविशंकर प्रसादप्रसाद ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां निर्धारित समय पर सभी राज्यों में इंटरनेट के दुरुपयोग की समीक्षा करती हैं।

सरकार ने उच्चतम न्यायालय के हाल ही के एक फैसले की व्याख्या कर, इंटरनेट के उपयोग को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुये गुरुवार को संसद में कहा कि इंटरनेट का उपयोग संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि विचार अभिव्यक्ति का एक माध्यम मात्र है। कानून और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में प्रश्नकाल में एक सवाल के जवाब में कहा ‘‘यह भ्रम दूर करने की जरूरत है कि इंटरनेट के उपयोग को उच्चतम न्यायालय ने मौलिक अधिकार घोषित किया है।’’ रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि इंटरनेट का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है। जरूरत पड़ने पर सर्विस बंद भी की जा सकती है। सरकार के लिए देश की सुरक्षा ज्यादा अहम है। 

इंटरनेट के प्रयोग को उच्चतम न्यायालय द्वारा मौलिक अधिकार घोषित किए जाने से संबंधित एक पूरक प्रश्न के उत्तर में प्रसाद ने कहा कि शीर्ष अदालत ने हाल ही में अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है, ‘‘मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी वकील ने इंटरनेट के उपयोग के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में घोषित करने के लिये कोई तर्क नहीं दिये है और इसलिये हम (उच्चतम न्यायालय) इस पर अपनी कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। हम अपने आप को केवल इतनी ही घोषणा तक सीमित रखते हैं कि इंटरनेट के माध्यम का उपयोग करते हुए अनुच्छेद 19(1) (क) के अतर्गत भाषण देने और विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा अनुच्छेद 19(1) (छ) के अंतर्गत कोई व्यापार करने का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित है।’’

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद राज्य में इंटरनेट को बाधित किये जाने से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में प्रसाद ने स्पष्ट किया कि इंटरनेट के उपयोग का अधिकार महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी तरफ देश की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि क्या इस आशंका से इंकार किया जा सकता है कि इंटरनेट का दुरुपयोग कर आंतकवादी गतिविधियों के निमित्त मानव मष्तिस्क को दूषित नहीं किया जा सकता?

उन्होंने कहा कि इंटरनेट का दुरुपयोग सिर्फ भारत ही नहीं, समूची दुनिया के लिये खतरा है और इसके मद्देनजर ही सुरक्षा कारणों से इस सेवा को रोकना पड़ता है। उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाने के अतीत के अनुभव का जिक्र करते हुये बताया कि राज्य में नियमों के तहत ही इस सेवा को रोका गया।

प्रसाद ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां निर्धारित समय पर सभी राज्यों में इंटरनेट के दुरुपयोग की समीक्षा करती हैं और इस सामान्य पद्धति के तहत भिन्न भिन्न राज्यों में इंटरनेट सेवायें निर्दिष्ट समय के लिये बाधित की जाती हैं। प्रसाद ने बताया कि जम्मू कश्मीर में इस सेवा के बहाल होने के बाद वॉयस एसएमएस, ब्रॉडबैंड और नागरिक सेवाओं, कारोबार और अन्य जरूरी कामों से जुड़ी 783 प्रमुख वेबसाइट सुचारू रूप से चल रही हैं।

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