रामेश्वर उरांव: 1990 में बिहार में आडवाणी को किया गिरफ्तार, मनमोहन सिंह सरकार में रह चुके हैं मंत्री
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 29, 2019 02:29 PM2019-12-29T14:29:15+5:302019-12-29T14:29:15+5:30
72 वर्षीय उरांव पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में तब आ गए जब उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ संयुक्त बिहार में रोक दिया था।
झारखंड की लोहरदग्गा विधानसभा सीट से विधायक और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने रविवार (29 दिसंबर) को राज्य के नए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मंत्री पद की शपथ ली। उरांव ने लोहरदग्गा सीट से बीजेपी के सुखदेव भगत को 30 हजार मतों के अंतर से हराया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत इस सीट से 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन चुनाव से कुछ दिनों पहले ही वह बीजेपी में शामिल हो गए।
रोक चुके हैं आडवाणी का रथ
रामेश्वर उरांव 14 फरवरी 1947 को पलामू के चियांकी में उरांव जन्मे थे। 72 वर्षीय उरांव पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में तब आ गए जब उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ संयुक्त बिहार में रोक दिया था। बीबीसी में छपी खबर के अनुसार, 1990 में रामेश्वर उरांव बिहार डीआईजी (हेडक्वार्टर) थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के पीएम और केंद्र में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार थी, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था।
उस दौरान आडवाणी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में संसदीय दल के नेता थे। आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली। 25 सितंबर से शुरू हुई रथयात्रा को 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी लेकिन आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को उरांव की टीम ने 23 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया। उरांव की टीम ने बिहार सरकार के आदेश के अनुसार आडवाणी को हेलिकॉप्टर से समस्तीपुर से दुमका लेकर गए, जहां आडवाणी मसानजोर गेस्ट हाउस में रखा गया। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद ही बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और उसके बाद चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने।
उरांव का राजनीतिक सफर
1972 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे रामेश्वर ने 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर राजनीति की ओर कदम बढ़ाया। उरांव लोकसभा चुनाव 2004 में लोहरदग्गा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह कैबिनेट में उरांव को आदिवासी मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया। इसके अलावा उरांव राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं। 2009 में भी उरांव लोकसभा चुनाव जीते लेकिन 2019 में उन्हें कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिला।
रामेश्वर उरांव ने किया कमाल
1990 में बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने वाले बिहार के पूर्व डीआईजी रामेश्वर उरांव को अगस्त 2019 में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह पहले से ही प्रदेश प्रभारी थे। इन दोनों की जोड़ी ने लगातार प्रत्याशियों के चयन से लेकर गठबंधन दलों की रणनीति पर ध्यान दिया। इसका परिणाम ये हुआ कि झारखंड बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस को 13.88 फीसदी मत मिले जबकि पिछले चुनाव में उसे 10.46% वोट मिले थे। जेएमएम को 18.72% जबकि आरजेडी को 2.75 फीसदी वोट मिले। गठबंधन को 35.35 फीसदी मत मिले।
विधानसभा चुनाव जीत
2005 09
2009 14
2014 06
2019 16
झारखंड चुनाव से सिर्फ तीन महीने कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर उरांव को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। उरांव ने अजय कुमार की जगह ली थी जिन्होंने पद से इस्तीफा देते हुए पार्टी के कुछ नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे।