राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवादः दोनों पक्ष के वकील उत्तेजित, एक-दूसरे पर की टीका-टिप्पणी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 16, 2019 04:17 PM2019-10-16T16:17:21+5:302019-10-16T16:17:35+5:30

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पूर्व महान्यायवादी और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण की दलीलें सुन रही थी।

Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute: Advocates on both sides agitated, commenting on each other | राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवादः दोनों पक्ष के वकील उत्तेजित, एक-दूसरे पर की टीका-टिप्पणी

पारासरण ने एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन के साथ आपत्ति जताई।

Highlightsवह 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे, ताकि अयोध्या में विवादित स्थल पर दावा किया जा सके।धवन ने न्यायामूर्ति एस ए बोबडे़, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर की पीठ से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक नई दलील है।

उच्चतम न्यायालय में बुधावार को राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के 40वें दिन हिंदू और मस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पूर्व महान्यायवादी और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण की दलीलें सुन रही थी। वह 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे, ताकि अयोध्या में विवादित स्थल पर दावा किया जा सके।

परासरण ने अपनी दलील में कहा कि मुगल सम्राट बाबर ने 433 साल से अधिक समय पहले भारत पर विजय के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण कर एक “ऐतिहासिक गलती” की थी, जिसे अब ठीक करने की जरूरत है। इस पर मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन उठे और हस्तक्षेप किया।

धवन ने न्यायामूर्ति एस ए बोबडे़, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर की पीठ से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक नई दलील है। उनके द्वारा अन्य मुकदमों में भी यह तर्क दिया जा सकता था। मैं प्रत्युत्तर देने का हकदार हूं।’’ इस पर पारासरण ने एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन के साथ आपत्ति जताई कि दूसरे पक्ष की तरफ से बहुत रोकटोक हो रही है और अदालत को सही व्यवस्था बनानी चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक अधिकार का मामला है।

पीठ ने कहा कि धवन को प्रत्युत्तर देने की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले दिन में जब वैद्यनाथन महंत सुरेश दास की तरफ से दलील दे रहे थे, तब दूसरे पक्ष के वकीलों की तरफ से टोकने पर उन्होंने कहा, “इस तरह लगातार टीका-टिप्पणी के बीच बहस नहीं कर सकता हूं।”

उनके ऐसा कहने पर धवन ने तेज आवाज में कहा, “ये सब क्या है। वह कैसे कह सकते हैं कि मैं टीका-टिप्पणी कर रहा हूं।” धवन ने चिल्लाकर कहा, “इसे बंद कीजिए” और इस पर वैद्यनाथन की तरफ से भी तीखी टिप्पणी आई। वैद्यनाथन ने कहा, “ये (धवन) मुझसे ऐसा कैसे कह सकते हैं” और उन्होंने अदालत से इस बात को संज्ञान में लेने के लिए कहा।

मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें शांत करने की कोशिश की और कहा कि “ये व्यवधान हैं ... आप (वैद्यनाथन) देखें, आप कितने उत्तेजित दिख रहे हैं।” इसके बाद जब धवन ने एक बार फिर वैद्यनाथन की दलील के बीच में टिप्पणी की तो अदालन ने उन्हें चुप करा दिया। पीठ 40वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा, “दलील पूरी हो गई।” 

Web Title: Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute: Advocates on both sides agitated, commenting on each other

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