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राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिदः अधिवक्ता के पराशरन ने कहा- देवत्व के बिना हिंदू धर्म नहीं हो सकता, ईश्वर एक है, हालांकि रूप भिन्न हो सकते हैं

By भाषा | Updated: September 30, 2019 21:01 IST

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरा करने के अपने संकल्प को भी दोहराया।

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ठळक मुद्देन्यायालय ने कहा था कि पक्षकार ऐसा करते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष प्रक्रिया गोपनीय बनी रह सकती है।शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले में सुनवाई आखिरी चरण में है और वह 18 अक्टूबर तक कार्यवाही पूरा करना चाहता है।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में ‘राम लला विराजमान’ के वकील ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह इस मुद्दे का सौहार्द्रपूर्ण हल करने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहते हैं।

‘राम लला विराजमान’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने मध्यस्थता पर मीडिया में आई कुछ खबरों का जिक्र किया और कहा कि वह इसमें आगे भाग लेना नहीं चाहते हैं तथा पीठ से एक न्यायिक फैसला चाहेंगे। वहीं राम लल्ला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के पराशरन ने दलीलें दीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम दिव्यता को क्यों मानते हैं? ये एक जरूरत थी। देवत्व के बिना हिंदू धर्म नहीं हो सकता। ईश्वर एक है। हालांकि रूप भिन्न हो सकते हैं। प्रत्येक मूर्ति का एक अलग रूप है, एक उद्देश्य है।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक शुरुआती मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम हो जाने के बाद दशकों पुराने इस संवेदनशील मामले की छह अगस्त से प्रतिदिन कार्यवाही शुरू करने के बाद आज 34 वें दिन भी सुनवाई की।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को कहा था कि वह मामले की प्रतिदिन सुनवाई जारी रखेगा और इस बीच विभिन्न पक्ष विवाद के हल के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। पीठ ने कहा था कि उसे तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का नेतृत्व कर रहे शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला का एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षकारों ने उनसे मध्यस्थता प्रक्रिया बहाल करने का अनुरोध किया है।

न्यायालय ने कहा था कि पक्षकार ऐसा करते हैं और मध्यस्थता समिति के समक्ष प्रक्रिया गोपनीय बनी रह सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले में सुनवाई आखिरी चरण में है और वह 18 अक्टूबर तक कार्यवाही पूरा करना चाहता है।

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरा करने के अपने संकल्प को भी दोहराया। न्यायालय ने यह भी कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी बैठेंगे।’’ शीर्ष न्यायालय प्रतिदिन शाम चार बजे के बजाय शाम पांच बजे तक अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहा है। पीठ ने निर्मोही अखाड़ा के वकील से कहा, ‘‘हम आपकी ओर से दलील देने के लिए एक वकील को इजाजत देंगे...हमारे पास समय नहीं है। क्या आप नहीं चाहते कि हम आदेश जारी करें।’’

न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को शुक्रवार को दलीलें पेश करने को भी कहा। वह मुस्लिम पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले शीर्ष अदालत ने आध्यात्मिक गुरु एवं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जाने माने मध्यस्थ श्रीराम पंचू की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति की इस रिपोर्ट पर भी गौर किया था कि करीब चार महीने चली मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई अंतिम समाधान नहीं निकला। 

 

 

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