रक्षाकवच :अगर भारत ने बदली परमाणु नीति, जानें क्या है No first use Policy?

By स्वाति सिंह | Published: August 26, 2019 07:11 AM2019-08-26T07:11:11+5:302019-08-26T08:26:37+5:30

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी के बीच परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर भारतीय रक्षा मंत्री का ताज़ा बयान आना एक महत्वपूर्ण बात है। राजनाथ सिंह भारत के दूसरे रक्षा मंत्री हैं जिन्होंने 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति के बारे में कहा है। दो परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसी के आपसी रिश्ते और उनकी नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय जगत की भी नज़र रहती है।

rakshakavachE4: If India Changed Nuclear Policy what is No first use Policy Rajnath Singh | Pakistan | रक्षाकवच :अगर भारत ने बदली परमाणु नीति, जानें क्या है No first use Policy?

राजनाथ सिंह भारत के दूसरे रक्षा मंत्री हैं जिन्होंने 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति के बारे में कहा है।

Highlightsभारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु स्थल पर 5 परमाणु परीक्षण किये। भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना जिसने परमाणु अप्रसार संधि यानि NPT पर साइन नहीं किए हैं।भारत की बराबरी करते हुए पाकिस्तान ने महज़ 17 दिनों बाद 28 मई को पाकिस्तान ने इन्हीं पहाड़ियों में पांच परमाणु विस्फोट किया ।

कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी के बीच भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर यह कहकर सभी को चौंका दिया कि भारत पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल न करने की अपनी नीति पर फिर से विचार कर सकता है।

राजनाथ ने यह बयान राजस्थान के पोखरण में दिया। आपको याद होगा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण करके दुनिया को चौंका दिया था। राजनाथ के इस बयान का महत्व इसलिए भी बहुत ज्यादा है क्योंकि उनसे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पिछले कुछ महीनों में कई बार ख़ुद के परमाणु शक्ति सम्पन्न देश होने का सार्वजनिक रूप से दम्भ भर चुके हैं। 

क्या है परमाणु हथियार पहले इस्तेमाल न करने की नीति क्या है और भारत ने अगर अपनी नीति बदली तो इसका क्या दूरगामी परिणाम हो सकता है। 

भारत कैसे बना परमाणु शक्ति सम्पन्न

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के शासनकाल में किया था। इस परमाणु परीक्षण का नाम "स्माइलिंग बुद्धा" था। इसे पोखरण1 से भी जाना जाता है। इसके बाद पोखरण-2 परीक्षण मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किए गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की सीरिज का एक हिस्सा था।

भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोरखरण परमाणु स्थल पर 5 परमाणु परीक्षण किये। भारत के कदम के साथ ही दुनिया भर में हमारी धाक जम गई। भारत सरकार ने इस परीक्षण के अगले साल से 11 मई को 'रीसर्जेंट इंडिया डे' मनाने का ऐलान किया। भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना जिसने परमाणु अप्रसार संधि यानि NPT पर साइन नहीं किए हैं।

भारत के परमाणु परीक्षण पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

भारत ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया था उसके बाद अंतरराष्ट्रीय जगत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। अमेरिका ने एक सख्त बयान जारी कर भारत की निंदा और वादा किया था कि प्रतिबंधों को भी लगाया जायेगा। अमेरिकी खुफिया एजेंसी समुदाय शर्मिंदा थी क्योंकि वे परीक्षण के लिए तैयारी का पता लगाने में असफल हुए। जापान ने भी प्रतिबन्ध लगाते हुए भारत सभी नए लोन और ग्रांट्स को रोक दिया। यानि ये की कई देशों ने भारत से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट क्रेडिट लाइनों और विदेशी सहायता के सस्पेंड के दिया। हालांकि, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस ने भारत की निंदा से परहेज किया था। इससे न सिर्फ भारत के टेक्नोलॉजी ट्रेड पर असर पड़ा, बल्कि वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड मतलब आईएमएफ से विकास के लिए मिलने वाली फंडिंग भी रुक गई थी।

भारत की परमाणु नीति

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर भारत की शुरूआत से यही नीति रही है, कि वो पहले हमला नहीं करेगा। यानि भारत 'No First Use' की Nuclear Policy पर चलने वाला देश है। यानि भारत किसी भी देश पर न्यूक्लियर हमला तब तक नही करेगा जब कि वह देश भारत के ऊपर हमला नहीं कर देता है। भारत के पास न्यूक्लियर हथियारों की संख्या लगभग 110 -130  के बीच मानी जाती है जबकि पाकिस्तान के पास 130 से 150 के बीच न्यूक्लियर हथियार हैं।

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल करने का फैसला सिर्फ जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों यानि देश के रूलिंग पार्टी को ही लेना होगा। लेकिन इसमें न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी का सहयोग जरूरी होगा। जिन देशों के पास न्यूक्लियर वेपन नही हैं भारत उनके खिलाफ कभी न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा।

अगर भारत के खिलाफ या भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ किसी कोई केमिकल या बायलोजिकल अटैक होता है तो ऐसी स्थिति में न्यूक्लियर हमले का विकल्प खुला रखेगा। न्यूक्लियर वेपन या इसके लॉन्चिंग से संबंधित सामग्री या टेक्नोलॉजी के निर्यात पर कड़ा नियंत्रण जारी रहेगा। इसके साथ ही न्यूक्लियर परीक्षणों पर रोक जारी रहेगी। भारत न्यूक्लियर मुक्त विश्व बनाने की वैश्विक पहल का समर्थन करता रहेगा।

वीडियो में देखें-

पाकिस्तान ने भी किया परमाणु परीक्षण

जब भारत ने पोखरण में तीन परमाणु परीक्षण किए, तो भारत की बराबरी करते हुए पाकिस्तान ने महज़ 17 दिनों बाद 28 मई को पाकिस्तान ने इन्हीं पहाड़ियों में पांच परमाणु विस्फोट किया ।पाकिस्तान ने यह परीक्षण बलुचिस्तान प्रांत के चगाई डिस्ट्रीक्ट में किया था जो की 30 मई तक चला था।पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने इस बात की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा था, ‘अगर भारत अपना न्यूक्लियर टेस्ट ना करता तो हम भी ना करते। 

परमाणु युद्ध से क्यों डरती है दुनिया

सबसे पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर 6 अगस्त 1945 को सवा आठ बजे लिटल ब्वॉय नाम का परमाणु बम गिराया था। इस हमले में लगभग 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। शहर के 30 फीसदी लोगों की मौत तत्काल हो गई थी। वहीं, परमाणु विकिरण के कारण हजारों लोग सालों बाद भी अपना जान गंवाते रहे थे।

इस हमले के बाद 9 अगस्‍त 1945  को नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम  'फैट मैन'  फेंका था। जिसमें 70 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इन दोनों ही हमले के परिणाम इतने भयावह थे की कई साल बाद तक वहां इसका असर देखने को मिलता रहा।

भारत और पाकिस्तान दोनों के परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनने के बाद हुआ पहला युद्ध

भारत और पाकिस्तान के परमाणु शक्तिसंपन्न बन जाने के बाद मई और जुलाई, 1999 के दौरान दोनों देशों के बीच हुए पहले सशस्त्र संघर्ष को कारगिल युद्ध, या भारतीय पहलू से 'ऑपरेशन विजय' के नाम से जाना जाता है। यह एक ट्रेडिशनल वार यानि परंपरागत युद्ध था। जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौ सेना का इस्तेमाल हुआ था। 

मौजूदा क्राइसस और इमरान ख़ान एवं अन्य पाकिस्तानी नेताओं के बयान

जम्मू-कश्मीर से जुड़ी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद पाकिस्तान खुली आलोचना कर रहा है। पाकिस्तानी सेना से लेकर संसद तक बैचैन हो गए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के जवाब में भारत को आतंकी हमले की धमकी दी। साथ ही इमरान खान ने यहां तक कह दिया कि भारत के इस कदम से कश्मीर में हालात और खराब होंगे। और मुमकिन है कि हालात युद्ध जैसे बन जाएं। और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।

अगर हम बात करें पाकिस्तान की तो उनके पास  नो फर्स्ट की पॉलिसी नहीं है। साल 2016 में पाकिस्तान की Strategic Planning Division के लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई इस बात को स्वीकार कर चुके हैं, कि पाकिस्तान के सारे परमाणु हथियार, भारत पर हमला करने के लिए Fix किए गए हैं। जबकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपने परमाणु कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए कहा था, कि पाकिस्तान घास की रोटी खा कर गुज़ारा कर लेगा, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएगा।

अन्य परमाणु शक्ति सम्पन्न देश और उनकी परमाणु नीति

चीन ने 1964 में ऐलान किया था कि वह परमाणु हथियार को लेकर नो फर्स्ट यूज की पॉलिसी पर चलेगा और मौजूदा समय में भी वह इस पर कायम है। रूस ने 2010 में कहा था कि अगर उनपर हमला होता है तो वह परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे। रूस ने यह साफ़ कर दिया था की अगर कोई मिलिट्री अटैक भी होता है और वह जरुरी समझे तो वह परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं। यानि रूस नो फर्स्ट यूज की पॉलिसी नहीं मानता है। ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ही परमाणु हमले के लिए फर्स्ट यूज की पॉलिसी नहीं मानते हैं।

अब अगर बात करें मौजूदा हालात की तो भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी के बीच परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर भारतीय रक्षा मंत्री का ताज़ा बयान आना एक महत्वपूर्ण बात है। दो परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसी के आपसी रिश्ते और उनकी नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय जगत की भी नज़र रहती है।

ऐसा नहीं है कि एनडीए सरकार में रक्षा मंत्री की ओर से ये बात पहली बार कही गई है। इससे पहले जब मनोहर पार्रिकर रक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि वो 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति से सहमत नहीं हैं और वो इसे बदलना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने इसे अपनी निजी राय बताई थी। राजनाथ सिंह भारत के दूसरे रक्षा मंत्री हैं जिन्होंने 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति के बारे में कहा है।

Web Title: rakshakavachE4: If India Changed Nuclear Policy what is No first use Policy Rajnath Singh | Pakistan

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