उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव से पहली हो रही सियासी उठापटक के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी पर हमला बोला है। साथ ही मायावती ने 7 बागी विधायकों को भी निलंबित किया है।
उन्होंने गुरुवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कहा कि निलंबित विधायक अगर सपा में शामिल हुए तो सदस्यता समाप्त कराई जाएगी। मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव की भी बुरी गति होगी।
मायावती ने साथ ही ये भी साफ कर दिया कि समाजवादी पार्टी को हराने के लिए वे किसी भी पार्टी का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर सपा को हराने के लिए बीजेपी का सपोर्ट करना पड़ा को भी बसपा इसके लिए तैयार है।
मायावती ने ये भी खुलासा किया कि राज्यसभा का पर्चा भरने के पूर्व सतीश चंद्र मिश्र ने अखिलेश यादव को फोन किया था। हालांकि अखिलेश यादव ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद रामगोपाल से बात होने के बाद बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा था।
1995 गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेना बड़ी गलती
मायावती ने कहा कि 1995 गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेना उनकी बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा, 'जब हमने सपा का व्यवहार लोकसभा चुनाव के बाद देखा तो हमें महसूस हुआ कि हमने उनके खिलाफ 2 जून 1995 के केस को वापस लेकर कितनी बड़ी गलती की। हमें उनके हाथ नहीं मिलाना चाहिए था। हमें इस गठबंधन को लेकर और गंभीरता से विचार करना चाहिए था।'
मायावती ने दावा कि जब बसपा ने लोकसभा चुनाव सपा के साथ लड़ने का फैसला किया तो पहले दिन से ही चुनाव प्रचार के बजाय अखिलेश यादव मुकदमा वापस कराने में लगे थे। मायावती ने कहा कि 2003 में मुलायम ने बसपा तोड़ी तो उनकी बुरी गति हुई और अब अखिलेश ने यह काम किया है तो उनकी भी बुरी गति होगी।
मायावती ने आगे कहा, 'लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से मुकाबला करने के लिए हमारी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया था। उनके परिवार में लेकिन चल रही कलह के कारण उन्हें बीएसपी के साथ गठबंधन का अधिक फायदा नहीं मिल सका। इसके बाद उनकी ओर से प्रतिक्रिया मिलनी बंद हो गई। इसी कारण हमने रास्ते अलग करने का फैसला लिया।'
बता दें कि राज्यसभा की 10 सीटों पर यूपी में चुनाव है। इस चुनाव में मंगलवार को उस समय रोचक मोड़ आ गया था जब एसपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज ने पर्चा भर दिया।
वहीं, बसपा के उम्मीदवार रामजी गौतम के दस प्रस्तावकों में से 5 ने प्रस्तावक के तौर पर अपने साइन होने से ही इनकार कर दिया। हालांकि बाद में इनका दावा गलत पाया गया। वहीं, बुधवार को दिनभर चली उठा-पटक के बीच प्रकाश बजाज का पर्चा खारिज हो गया और आखिरकार सपा की चाल पर बीएसपी भारी पड़ गई।