1978 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव महर्षि ने राजस्थान के मुख्य सचिव होने के अलावा भारत सरकार में गृह सचिव और वित्त सचिव के रूप में कार्य किया. वे 2020 तक नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) भी थे. वे सेवानिवृत्ति के बाद भी सुर्खियों में रहे हैं-इस बार अपने अचार बनाने के कौशल के लिए. श्री महर्षि ने लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता के साथ अपने जुनून और करियर के बारे में विस्तृत बातचीत की. प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :
- आपने अचार बनाना कैसे शुरू किया?
मैंने अपना खाना पकाने का कौशल अपनी मां और दादी से सीखा. अपने छात्र जीवन के दौरान और यहां तक कि जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक था, तब भी खाना बनाता था. यही बात अचार के लिए भी है. मेरी मां मुझे जयपुर से तरह-तरह के अचार भेजती थी. मुझे अचार बनाना सिखाया नहीं गया है. वास्तव में, मैंने अपने जीवन में एक भी नुस्खा नहीं पढ़ा है. अचार बनाना मुझे स्वाभाविक रूप से आया. मैं इसे ईश्वरीय उपहार मानता हूं. लोग मेरे उत्पाद को पसंद करते हैं. तो, मैं बस इसके साथ आगे बढ़ा.
- आप इसके लिए अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय कैसे निकालते हैं?
कुकिंग एक बेहतरीन तनाव निवारक है. मैं अभी भी अपने दोस्तों और परिवार के लिए खाना बनाता हूं. वह मेरा पसंदीदा शगल है.
- जब आपने इसे व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया है तो प्रतिक्रिया कैसी है?
लगभग दो वर्ष पहले सेवानिवृत्ति के बाद मेरी छोटी बहू आस्था जैन के मन में यह विचार आया. अब मैं प्रोडक्शन का इंचार्ज हूं और वह मार्केटिंग का ख्याल रखती है. इस प्रकार, इस ब्रांड का जन्म हुआ. उसने एक वेबसाइट पंजीकृत की, बोतलें लीं और व्यवसाय शुरू किया.
- लेकिन, यह अनोखा नाम ‘पिकल-द टेस्ट ऑफ दादा’ क्यों?
लिमिटेड लाएबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) जिसे मेरी बहू ने पंजीकृत किया है वह शौर्य अचार और मसाला है. शौर्य मेरा पोता है और मैं उसका दादा, इसलिए यह नाम है.
- क्या आपने व्यंजनों का पेटेंट कराया है?
मैं किसी विशेष नुस्खे का पालन नहीं करता और न ही सामग्री के लिए किसी मापक यंत्र का उपयोग करता हूं. मेरे पास एक अनुमानित विचार है और यह हमेशा उपयुक्त साबित होता है. मुझे नहीं पता कि अचार बनाते समय कितना नमक, मेथी दाना, सौंफ मिलाना चाहिए, मैं सिर्फ मात्रा का अनुमान लगाता हूं और यह अच्छी तरह से काम करता है.
- इसे कैसे शुरू किया?
अस्सी के दशक में दिल्ली में अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान, एक दिन मैंने महसूस किया कि मेरे अचार का स्टॉक खत्म हो गया है. इसलिए मैंने जयपुर से मां के अचार के आने का इंतजार करने के बजाय खुद प्रयोग करने का फैसला किया. यह सफल रहा. और तब से यह सिलसिला चल निकला है.
- अचार की कितनी वेरायटी बना रहे हैं?
अब मैं 20 अलग-अलग तरह के अचार बनाता हूं, जिसमें बैंगन, करेला, कटहल, निसोडा (ग्लुबेरी), आंवला, सूखे खजूर, चाइनीज संतरा, हरी लोबिया, करोंदा से लेकर पारंपरिक आम और नींबू के अलग-अलग स्वाद के अचार शामिल हैं. वे अद्वितीय हैं क्योंकि वे बहुत कम मसालेदार और प्याज और लहसुन से मुक्त हैं.
- क्या आप कच्चे माल को खेतों या बाजार से मंगवाते हैं?
मैं केवल उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करता हूं, भले ही इसकी कीमत कुछ भी हो. मैं अचार के लिए बाल्समिक सिरके का उपयोग करता हूं, जो महंगा है. मैं केवल अपने गृहनगर भरतपुर से एक निश्चित प्रकार के सरसों के तेल का उपयोग करता हूं. मेरे पास अपने घर पर अचार में इस्तेमाल होने वाले मसाले पीसने की मशीन है. मैं तैयार मसाले नहीं खरीदता.
- नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत के अलावा, आपके उत्पादों के प्रशंसक कौन हैं?
मैं नाम नहीं लूंगा. लेकिन, मैं कह सकता हूं कि नौकरशाही में मेरे सहयोगियों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लोगों ने भी मेरे अचार को पसंद किया है.
- आपने बहुत से राजनेताओं के साथ काम किया है, क्या आप उनमें से कुछ की कार्यशैली की विशिष्ट विशेषताओं को रेखांकित कर सकते हैं?
देश में जो कुछ भी होता है उसके लिए राजनेता जिम्मेदार होते हैं. वे सरकार में एकमात्र ऐसे लोग हैं जिनके पैर जमीन पर हैं. उन्हें हर पांच साल में लोगों का सामना करना पड़ता है जबकि हम अपने जीवनकाल में एक परीक्षा पास करते हैं. मैंने बहुत हाई-प्रोफाइल राजनीतिक नेताओं के साथ काम किया है, लेकिन उनके साथ काम करने या उन्हें सही बात के लिए राजी करने में कभी कोई कठिनाई नहीं हुई. मुझ पर कभी गलत काम करने का दबाव नहीं डाला गया.
- केंद्र में सचिवों के साथ पीएम मोदी की अनौपचारिक बैठकें कैसे शुरू हुईं?
2014 में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद उन्होंने काम की बेहतर समझ पाने के लिए सचिव स्तर के अधिकारियों के साथ अनौपचारिक पाक्षिक बैठकें शुरू कीं. प्रधानमंत्री काफी जानकार व्यक्ति हैं और बहुत पढ़े-लिखे और अनुभवी हैं. वे बेहद धैर्यवान हैं और आपकी बात सुनते हैं. नतीजतन, हर कोई काम करने के लिए विचारों और इनपुट के साथ आया, जिस पर इन अनौपचारिक बैठकों में चर्चा की जा सकती थी. हम सभी के लिए एक साथ आने और विचार-मंथन करने का यह एक शानदार अवसर था.