Rajasthan Political Crisis: अजब सियासी शतरंज की गजब कहानी! अपने ही बादशाह को घेरने की कवायद?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 9, 2020 03:08 PM2020-08-09T15:08:02+5:302020-08-09T15:08:02+5:30

सीएम गहलोत ने ट्वीट भी किया है- हमारी लड़ाई डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है, वो जारी रहेगी. विजय हमारी होगी, विजय सत्य की होगी, विजय प्रदेशवासियों की होगी, विजय उन तमाम विधायकों की होगी चाहे पक्ष में हैं चाहे विपक्ष में हैं, जो चाहते हैं कि सरकारें अस्थिर नहीं होनी चाहिए.

Rajasthan Political CrisisBJP Congress better to surround your own king? ashok gehlot vasundhara raje | Rajasthan Political Crisis: अजब सियासी शतरंज की गजब कहानी! अपने ही बादशाह को घेरने की कवायद?

वसुंधरा राजे को भी विधानसभा चुनाव 2018 के बाद से ही राजस्थान की राजनीति से दूर करने के अप्रत्यक्ष प्रयास लगातार जारी हैं.

Highlightsराजस्थान में सियासी संग्राम दरअसल राजनीतिक हक की जंग है. सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी.

राजस्थान में सियासी संग्राम दरअसल राजनीतिक हक की जंग है. यहां दो दल प्रभावी हैं- कांग्रेस और बीजेपी, और दोनों दलों में पूरे राजस्थान में प्रभाव और पहचान रखनेवाले भी दो ही नेता हैं- कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे. अपने-अपने दलों के ज्यादातर एमएलए इन्हीं दोनों के साथ हैं.

लेकिन, करीब एक माह पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी. उन्होंने कांग्रेस के मंच पर सीएम गहलोत को चुनौती देने के बजाय बाहर से चुनौती इसलिए दी कि उनके साथ विधायकों का पर्याप्त संख्याबल नहीं है.

यह तो है कांग्रेस के नेतृत्व को अपनी ही पार्टी के सदस्यों की ओर से चुनौती की प्रत्यक्ष कहानी, परन्तु उधर, वसुंधरा राजे को भी विधानसभा चुनाव 2018 के बाद से ही राजस्थान की राजनीति से दूर करने के अप्रत्यक्ष प्रयास लगातार जारी हैं.

यदि गहलोत सरकार को गिराने में कामयाबी मिल जाती है तो बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व एक सियासी तीर से दो निशाने साध सकता है, एक- एमपी की तरह कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता से भी बेदखल करने का, और दो- वसुंधरा राजे के अलावा किसी दूसरे को मुख्यमंत्री बनाने का, ताकि भविष्य के लिए सीएम पद से वसुंधरा राजे की दावेदारी खत्म हो जाए.

यही वजह है कि वसुंधरा राजे के समर्थक राजनीतिक नैतिकता के आधार पर राजस्थान की सरकार गिराने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि सीएम गहलोत ने इसे प्रजातंत्र को बचाने की लड़ाई करार दिया है. उन्होंने इस संबंध में प्रदेश के तमाम विधायकों को पत्र लिख कर अपनी बात भी स्पष्ट की है.

सीएम गहलोत ने ट्वीट भी किया है- हमारी लड़ाई डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई है, वो जारी रहेगी. विजय हमारी होगी, विजय सत्य की होगी, विजय प्रदेशवासियों की होगी, विजय उन तमाम विधायकों की होगी चाहे पक्ष में हैं चाहे विपक्ष में हैं, जो चाहते हैं कि सरकारें अस्थिर नहीं होनी चाहिए.

इस वक्त अपने समर्थक विधायकों की सियासी सुरक्षा के मद्देनजर जहां पायलेट खेमे के एमएलए हरियाणा में हैं, सीएम गहलोत समर्थक एमएलए जैसलमेर में हैं, वहीं बीजेपी के डेढ़ दर्जन से ज्यादा विधायक गुजरात गए हैं.

बीजेपी के सभी विधायकों की बैठक जयपुर में 11 अगस्त को है और इसके बाद संभवतया 14 अगस्त को विधानसभा सत्र शुरू होने तक के लिए इन विधायकों को वहीं रोक लिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त को ही बसपा विधायकों के कांग्रेस में जाने संबंधित मामले में राजस्थान हाईकोर्ट कोई फैसला दे सकता है. यदि यह फैसला कांग्रेस के पक्ष में नहीं हुआ तो राजस्थान की राजनीति की दिशा और रणनीति, दोनों बदल जाएंगी!

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