भाजपा के विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जमकर किया हंगामा, भाजपा नेता के कपड़े फाड़े, पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज
By अभिषेक पारीक | Updated: July 30, 2021 18:32 IST2021-07-30T18:20:04+5:302021-07-30T18:32:50+5:30
राजस्थान के श्रीगंगानगर में किसानों ने भाजपा नेता कैलाश मेघवाल के साथ बदसलूकी की और उनके कपड़े फाड़ दिए हैं। मेघवाल भाजपा की ओर से आयोजित एक धरने में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे।

किसानों ने गंगासिंह चौक पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कैलाश मेघवाल के कपड़े फाड़ दिए।
राजस्थान के श्रीगंगानगर में किसानों ने भाजपा नेता कैलाश मेघवाल के साथ बदसलूकी की और उनके कपड़े फाड़ दिए हैं। मेघवाल भाजपा की ओर से आयोजित एक धरने में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। पुलिस ने किसी तरह से बीच बचाव कर मेघवाल को मौके से निकाला। पुलिस को इस दौरान मामले को शांत कराने के लिए लाठीचार्ज भी करना पड़ा।
कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों ने भाजपा एससी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष कैलाश मेघवाल के साथ बदसलूकी की। मेघवाल महंगाई और सिंचाई से जुड़े मुद्दों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ आयोजित एक धरने में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। हालांकि भाजपा के धरने में बड़ी संख्या में किसान भी पहुंच गए। किसानों ने गंगासिंह चौक पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मेघवाल के कपड़े फाड़ दिए।
Rajasthan: Farmers protesting in Sri Ganganagar against the Central Government's three farm laws, tore the clothes of BJP leader Kailash Meghwal. The leader had arrived to participate in a BJP protest over inflation and irrigation when the incident took place. pic.twitter.com/GERDBpoqB2
— ANI (@ANI) July 30, 2021
मेघवाल को किसानों से घिरा देखकर के पुलिस ने किसी तरह से उन्हें बाहर निकाला। इसके लिए उग्र किसानों पर हल्का लाठीचार्ज भी किया गया। बाद में मेघवाल धरना छोड़कर मौके से रवाना हो गए। बता दें कि पंजाब के मलोट में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी, जब भाजपा विधायक अरुण नारंग की पिटाई कर दी गई थी। जिसके बाद पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग
बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे। जिसके बाद से ही कई राज्यों में कसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे। इसके लिए देश के अलग-अलग इलाकों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार लगातार किसानों से बातचीत करने की बात कह रही है, लेकिन केंद्र कानूनों को रद्द करने के पक्ष में केंद्र नहीं है।