राजस्थान चुनाव: ठोस मुद्दों को उठाकर 2019 के लिए इमेज सुधारने में जुटा बीजेपी नेतृत्व?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 2, 2018 11:23 AM2018-12-02T11:23:27+5:302018-12-02T11:25:24+5:30

प्रश्न यह भी है कि साढ़े चार साल के मुद्दों पर सुधार का मरहम कितना असर करेगा?

Rajasthan elections: BJP leaders in raising the issue to improve image for 2019? | राजस्थान चुनाव: ठोस मुद्दों को उठाकर 2019 के लिए इमेज सुधारने में जुटा बीजेपी नेतृत्व?

राजस्थान चुनाव: ठोस मुद्दों को उठाकर 2019 के लिए इमेज सुधारने में जुटा बीजेपी नेतृत्व?

जयपुर, 1 दिसंबरः राजस्थान में विधान सभा चुनाव के मद्देनजर जहां सभी दल चुनावी महाभारत में जुटें हैं, वहीं भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने खामोशी से जनहित के उन मुद्दों को सुधारने पर काम शुरू कर दिया है, जिनके कारण कांग्रेस विस चुनाव में भाजपा की टक्कर में आ खड़ी हुई है.

वर्तमान विस चुनाव में भी गैस-पेट्रोल के रेट, आर्थिक आधार पर आरक्षण, एटीएम व्यवस्थाएं, किसानों की कर्जा माफी, रोजगार, राम मंदिर जैसे मुद्दों के कारण भाजपा को अपने समर्थकों को ही समझाना भारी पड़ रहा है, इसलिए यदि इन मुद्दों पर केंद्र सरकार ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो अगले आम चुनाव में भाजपा के लिए 2014 दोहराना मुश्किल हो जाएगा.

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि ज्यादातर मुद्दे भाजपा के ही वोट बैंक सामान्य वर्ग और शहरी मतदाताओं से जुड़े हैं और यदि इनकी नाराजगी बनी रही तो विस चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी भाजपा कड़े संघर्ष में उलझ जाएगी. एक बडी सियासी दिक्कत यह भी है कि अब इमोशनल मुद्दे उतना असर नहीं दिखा रहे हैं, जितना 2014 में प्रभावी थे. वैसे तो विस चुनाव के परिणामों के बाद सियासी मूल्यांकन के मद्देनजर सुधार किए जाएंगे, लेकिन ऐसे मुद्दे जिनका असर अभी से दिखाई दे रहा है, उनके सुधार की प्रक्रि या प्रारंभ की गई है.

सबसे बड़ा मुद्दा गैस-पेट्रोल-डीजल के रेट का है, जिसके कई प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभाव हो रहे हैं. गैस सिलेंडर के रेट के कारण केंद्र की प्रधानमंत्री उज्जवला योजना अपने मकसद में असफल साबित होती जा रही है, इस योजना के आधे से ज्यादा लाभार्थियों ने एकाधिक बार सिलेंडर लिए ही नहीं हैं, क्योंकि गैस सिलेंडर के दाम बहुत ज्यादा हैं. हालांकि, सब्सिडी की राशि वापस व्यक्ति के खाते में आ जाती है, परंतु सिलेंडर खरीदते समय इतना पैसा देना अखरता है.

भाजपा सरकार सिलेंडर के दामों में कमी के लिए इस पर दी जाने वाली सब्सिडी का बैंक चक्र बंद करके, सीधे कंपनी को देने की योजना पर काम कर रही है, ताकि उपभोक्ता को उतना ही पैसा देना पड़े, जितना सब्सिडी की राशि घटाने के बाद बनता है. वर्तमान व्यवस्था से गैस सिलेंडर के दामों को लेकर सरकार की बदनामी हो रही है, सो अलग!

इसी तरह पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने के रास्ते भी निकाले जा रहे हैं तो एटीएम की परेशानियों को भी कम करने की कोशिश शुरू हो गई है. आर्थिक आधार पर आरक्षण को मिल सकती है हरी झंडी दरअसल, वर्तमान में देशभर मे जो एटीएम हैं उन पर क्षमता से अधिक दबाव है, जिसके कारण कुछ माह बाद, संभवतया आम चुनाव से ठीक पहले ज्यादातर एटीएम काम करना बंद कर देंगे और नोटबंदी के समय जैसी लंबी-लंबी कतारों की आशंका जताई जा रही है.

यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो सियासी हालातों को संभालना मुश्किल हो जाएगा. पीएम मोदी सरकार के कुछ निर्णयों से सामान्य वर्ग नाराज है, इनकी नाराजगी दूर करने के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण को हरी झंडी मिल सकती है. बहरहाल, खामोशी से सुधार अभियान तो शुरू हो गया है, लेकिन उसके कारण विस चुनाव में जो नुकसान हो जाएगा, उसे सुधारना शायद संभव नहीं होगा. प्रश्न यह भी है कि साढ़े चार साल के मुद्दों पर सुधार का मरहम कितना असर करेगा?

English summary :
Vidhan Sabha elections in Rajasthan: All the parties (BJP and Congress) are in the electoral battlefield for the Rajasthan Assembly Elections 2018, the BJP central leadership has started working on improving the issues of public interest, due to which the Congress is attacking on BJP in the assembly election.


Web Title: Rajasthan elections: BJP leaders in raising the issue to improve image for 2019?

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