राजस्थानः लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का बड़ा फैसला, एक भी MLA नहीं लड़ेगा चुनाव
By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 3, 2019 08:11 AM2019-02-03T08:11:31+5:302019-02-03T08:11:31+5:30
विस चुनाव के दौरान राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस, दोनों को करीब-करीब बराबर वोट मिले थे, लिहाजा जरा-सी गड़बड़ी नतीजों को बदल सकती है.
लोकसभा चुनाव में मिशन 25 के लिए कांग्रेस तेजी से आगे बढ़ रही है और अब तक उम्मीदवार चयन के तीन चरण पूरे हो गए हैं. इसी क्रम में दिल्ली में जीताउ उम्मीदवार के लिए सियासी मंथन चल रहा है. इस मंथन से यह संकेत उभर कर सामने आया है कि वर्तमान विधायकों को लोस चुनाव नहीं लड़वाया जाएगा.
याद रहे, पूर्व कैबिनेट मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया जैसे कुछ प्रमुख नेताओं को जब नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी, तब यह चर्चा गर्म थी कि कुछ वरिष्ठ एमएलए को लोस चुनाव लड़वाया जा सकता है, लेकिन अब साफ हो गया है कि लोस चुनाव में कांग्रेस वर्तमान एमएलए पर दांव नहीं लगाएगी.
विस चुनाव के दौरान राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस, दोनों को करीब-करीब बराबर वोट मिले थे, लिहाजा जरा-सी गड़बड़ी नतीजों को बदल सकती है. यदि विस चुनाव वाला ही मतदान प्रतिशत बना रहता है तो लोस चुनाव मे 25 में से कांग्रेस और भाजपा, प्रत्येक को करीब एक दर्जन सीटें मिल सकती हैं, परन्तु विस चुनाव के बाद कई बदलाव आए हैं, जहां कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने किसानों की कर्जामाफी की है, बेरोजगारों के लिए बेरोजगारी भत्ता शुरू कर रही है, सवर्ण आरक्षण लागू करने जा रही है, तो केन्द्र सरकार ने जहां आयकर में छूट दी है, सवर्ण आरक्षण दिया है, किसानों को राहत के लिए बजट में प्रावधान किए है. इनके अलावा अभी राज्य सरकार की तरफ से भी जनता के लिए कई और घोषणाओं की संभावना है.
जाहिर है, इन घोषणाओं का असर मतदान पर जरूर नजर आएगा. जरा-सी सियासी समीकरण बदली तो पूरे नतीजे बदल जाएंगे.
इस संबंध में सीएम अशोक गहलोत का प्रेस को कहना था कि लोकसभा चुनाव आ रहे हैं, तो चुनाव की तैयारियां भी जारी हैं.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने लोस चुनाव के मद्देनजर उम्मीदवारों के चयन को लेकर पहले कार्यकताओं की राय जानी गई, फिर प्रभारी मंत्रियों ने विभिन्न जानकारियां एकत्रित की और इनके आधार पर जयपुर में सीएम अशोक गहलोत एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने वरिष्ठ नेताओं के साथ इस संबंध में प्रारंभिक चर्चा की. इसके बाद अब दिल्ली में चर्चाएं जारी हैं.
राजस्थान जैसे लगभग आधा दर्जन राज्य भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है तथा तीसरे किसी दल की कोई बड़ी भूमिका नहीं है. इसलिए, इन राज्यों से कांग्रेस या भाजपा, अधिकतम सीटें हांसिल करने की उम्मीद रख सकती हैं.
भाजपा को केन्द्र की सत्ता बचाने के लिए यहां से अधिकतम सीटें चाहिएं तो कांग्रेस को केन्द्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए अधिकतम सीटों की जरूरत है. इस वक्त दोनों प्रमुख दलों में से कोई भी दल नतीजों को लेकर आश्वस्त नहीं है, इसलिए जो भी दल मतदाताओं को अपने साथ लेने में कामयाब रहेगा, वहीं लोस चुनाव में बाजी मार ले जाएगा.