राजस्थान संकट: हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे स्पीकर, कहा- मुझे नोटिस भेजने का पूरा अधिकार
By पल्लवी कुमारी | Updated: July 22, 2020 10:17 IST2020-07-22T10:17:31+5:302020-07-22T10:17:31+5:30
Rajasthan political crisis: राजस्थान में सियासी संकट पिछले कई दिनों से जारी है। इसमें सबसे बड़ा ट्विस्ट उस वक्त देखने को मिला जब सचिन पायलट को राज्य के उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। सीएम अशोक गहलोत का आरोप है कि पायलट बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं।

Rajasthan Assembly Speaker CP Joshi (File Photo)
जयपुर:राजस्थान का सियासी संकट (Rajasthan political crisis) खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (Rajasthan Assembly Speaker CP Joshi) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि वह राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। सीपी जोशी ने कहा, स्पीकर को कारण बताओ नोटिस भेजने का पूरा अधिकार है। मैंने अपने वकील से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी(SLP) दायर करने के लिए कहा है। राजस्थान हाइकोर्ट (rajasthan high court ) ने सचिन पायलट खेमे के 18 विधायकों को 24 जुलाई तक फौरी राहत दी है।
सीपी जोशी ने कहा, मैंने स्पीकर होने के नाते उन्हें सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसमें किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया था। लेकिन यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उसके लिए बागी विधायक हाई कोर्ट पहुंच गए थे।
Speaker's responsibilities are well defined by Supreme Court & Constitution. As Speaker I got an application & to seek info on it, I issued show-cause notice. If show cause notice will not be issued by authority, then what is the work of authority: Rajasthan Assembly Speaker https://t.co/FhZCQ3APUN
— ANI (@ANI) July 22, 2020
अगर कारण बताओ नोटिस अथॉरिटी द्वारा जारी नहीं किया जाएगा, तो अथॉरिटी का काम क्या है? - विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी
सीपी जोशी ने कहा, स्पीकर की जिम्मेदारियों को सुप्रीम कोर्ट और संविधान द्वारा अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। अध्यक्ष के रूप में मुझे एक आवेदन मिला और इस पर जानकारी लेने के लिए, मैंने कारण बताओ नोटिस जारी किया। यदि कारण बताओ नोटिस अथॉरिटी द्वारा जारी नहीं किया जाएगा, तो अथॉरिटी का काम क्या है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा, मेरा मानना है कि अथॉरिटी की गरिमा को बनाए रखना हम सभी की लोकतंत्र में जिम्मेदारी है। अगर विधानसभा स्पीकर कोई फैसला करता है तो उसके खिलाफ दूसरी अथॉरिटी के पास जाना बिल्कुल उचित है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष पद की गरिमा को बचाना भी हमारी जिम्मेदारी बनती है।
24 जुलाई को राजस्थान हाई कोर्ट पायलट खेमे की याचिका पर सुनाएगा फैसला
राजस्थान हाई कोर्ट ने 21 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस पर कार्रवाई 24 जुलाई तक टालने का आग्रह किया। अदालत 24 जुलाई शुक्रवार को सचिन पायलट और 18 बागी विधायकों की याचिका पर उपयुक्त आदेश जारी करेगी।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने आग्रह पर सहमति जतायी और अयोग्यता नोटिस पर अपना फैसला शुक्रवार शाम तक के लिए टाल दिया है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की खंड पीठ ने मंगलवार (21 जुलाई) को याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की अंतिम दलीलें सुनीं और इसके बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामथ का जवाब भी सुना।
सीएम गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद उप मुख्यमंत्री पद हटाए गए सचिन पायलट
हाई कोर्ट ने राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्यता नोटिस पर किसी भी कार्रवाई से सचिन पायलट और कांग्रेस के अन्य बागी विधायकों को चार दिनों की राहत प्रदान की थी। मामले में सोमवार (20 जुलाई) को भी सुनवाई हुई थी। पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये कांग्रेस द्वारा विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत किये जाने के बाद यह नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो।
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।

