राहुल का 20 महीने का सफर, नहीं मिला सत्ता का शिखर

By भाषा | Updated: August 11, 2019 06:05 IST2019-08-11T06:05:15+5:302019-08-11T06:05:15+5:30

 परिवार की सफल और समृद्ध विरासत, बड़ा संगठन, सिपहसालारों की फौज और जीतोड़ मेहनत भी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजनीति के उस मुकाम तक नहीं पहुंचा सकी जहां उनसे पहले गांधी-नेहरू परिवार के कई लोग न सिर्फ पहुंचे

Rahul's journey of 20 months, did not get the peak of power | राहुल का 20 महीने का सफर, नहीं मिला सत्ता का शिखर

राहुल का 20 महीने का सफर, नहीं मिला सत्ता का शिखर

 परिवार की सफल और समृद्ध विरासत, बड़ा संगठन, सिपहसालारों की फौज और जीतोड़ मेहनत भी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को राजनीति के उस मुकाम तक नहीं पहुंचा सकी जहां उनसे पहले गांधी-नेहरू परिवार के कई लोग न सिर्फ पहुंचे, बल्कि लंबे समय तक बने रहे। कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उनके करीब 20 महीने के सफर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनावी जीत के तौर पर बड़ी सफलताएं मिली,

लेकिन इस साल के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार उनकी नाकामी की बड़ी इबारत लिख गया और इसी के साथ पार्टी के मुखिया के तौर पर उनकी पारी का पटाक्षेप भी हो गया। अध्यक्ष रहते हुए गांधी ने पार्टी की कार्य संस्कृति में बदलाव का प्रयास किया। उन्होंने टिकट आवंटन, संगठन की कार्यशैली में पारदर्शिता लाने के लिए कदम उठाया तथा संगठन में चुनाव कराने की परंपरा शुरू की। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के पुत्र राहुल ने अपनी सियासी पारी के आगाज से ही मीडिया, आमजन और बौद्धिक वर्ग का ध्यान खींचा और पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने फिर दिसंबर, 2017 में गुजरात चुनाव के समय कांग्रेस अध्यक्ष बने।

गुजरात के चुनाव में कांग्रेस भले ही मामूली अंतर से हार गई, लेकिन कई सियासी जानकारों ने गांधी के नेतृत्व और पार्टी की चुनावी रणनीति की तारीफ की। गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो 2018 के आखिर में हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत ने उनके नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं का विश्वास बढ़ाने का काम किया। इन तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेस और गांधी को लगा कि 2019 के चुनाव में केंद्र की सत्ता में भी वापसी होगी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व भाजपा की बड़ी जीत ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। साथ ही अपनी परंपरागत अमेठी सीट पर उनकी हार उनके लिए दोहरा झटका लेकर आई।

लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन की स्थिति यह है कि वह 2014 के अपने 44 सीटों के आंकड़ों में महज कुछ सीटों की बढ़ोतरी कर पाई और उसे 52 सीटें मिली। चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी कई जानकारों का यह कहना था कि अगर कांग्रेस सीटों का शतक भी लगा लेती है तो वह उसके और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लिए सहज स्थिति होगी, हालांकि ऐसा नहीं होता दिख रहा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में समूची पार्टी ने प्रचार अभियान प्रधानमंत्री मोदी पर केंद्रित रखा और राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ‘चौकीदार चोर है’ का प्रचार अभियान चलाया जिसके जवाब में मोदी और भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान शुरू किया।

राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे के अलावा ‘न्यूनतम आय गारंटी’ (न्याय) योजना को मास्टरस्ट्रोक के तौर पर पेश किया। पार्टी को उम्मीद थी कि गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने का उसका वादा भाजपा के राष्ट्रवाद वाले विमर्श की धार को कुंद कर देगा, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं हुआ। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के ‘नकारात्मक’ प्रचार अभियान के साथ पार्टी अथवा विपक्षी गठबंधन की तरफ से नेतृत्व का स्पष्ट नहीं होना भी भारी पड़ा। पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालते हुए गांधी प्रधानमंत्री पद अथवा विपक्ष की तरफ से नेतृत्व के सवाल को भी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से टालते रहे। वह बार बार यही कहते रहे कि जनता मालिक है और उसका फैसला स्वीकार किया जाएगा।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा। वैसे, गांधी ने यह भी कहा है कि वह अध्यक्ष नहीं रहते हुए भी पार्टी के लिए सक्रियता से काम करते रहेंगे। भाषा हक हक अर्पणा अर्पणा

Web Title: Rahul's journey of 20 months, did not get the peak of power

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे