नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में दो सीटों से चुने गए हैं। जिनमें एक सीट केरल में वायनाड की है तो दूसरी सीट उत्तर प्रदेश में रायबरेली की है। हालांकि, आने वाले दिनों में उन्हें एक सीट छोड़नी पड़ेगी। अब केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के प्रमुख के सुधाकरन ने बड़ा संकेत देते हुए कहा है कि गांधी वायनाड सीट छोड़ सकते हैं। बुधवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए सुधाकरन ने संकेत दिया है कि राहुल गांधीरायबरेली सीट बरकरार रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि केरल के लोगों को "दुखी नहीं होना चाहिए" क्योंकि राहुल गांधी से वायनाड में "रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती"।
सुधाकरन ने जनसभा में कहा, "हमें दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि राहुल गांधी जो देश का नेतृत्व करने वाले हैं, उनसे वायनाड में रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए, हमें दुखी नहीं होना चाहिए। सभी को यह समझना चाहिए और उन्हें अपनी शुभकामनाएं और समर्थन देना चाहिए।" मलप्पुरम के एडवन्ना में एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वह इस दुविधा में हैं कि उन्हें कौन सी सीट छोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह जिस भी सीट को बरकरार रखने का फैसला करेंगे, दोनों निर्वाचन क्षेत्र इस फैसले से खुश होंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा, "मेरे सामने दुविधा है कि मैं वायनाड का सांसद बनूं या रायबरेली का। मैं आपसे वादा करता हूं कि वायनाड और रायबरेली दोनों ही मेरे फैसले से खुश होंगे।" जनप्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक, एक उम्मीदवार दो लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है, लेकिन एक बार में केवल एक ही सीट पर कब्जा कर सकता है।
नियमों के मुताबिक, उम्मीदवार के पास नतीजों की घोषणा की तारीख से दो हफ्ते का समय होता है कि वह कौन सी सीट बरकरार रखना चाहता है। लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किए गए थे, जिसका मतलब है कि राहुल गांधी को अगले मंगलवार यानी 18 जून से पहले अपना अंतिम फैसला सुनाना होगा।
2019 के आम चुनावों में राहुल गांधी ने अमेठी और वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वायनाड से हार गए थे। 2024 के चुनावों में एक बार फिर दो सीटों पर चुनाव लड़ते हुए गांधी ने वायनाड और रायबरेली दोनों जगहों से बड़े अंतर से जीत हासिल की। हालांकि, वायनाड में जीत का अंतर 2019 के मुकाबले कम रहा।