नई दिल्ली, 27 सितंबर: नरेंद्र मोदी सरकार से जुड़े सूत्रों ने राफेल डील पर मीडिया में आई उस रिपोर्ट का खंडन किया है जिसमें कहा गया कि इस सौदे से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने आपत्ति जतायी थी।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि सरकार ने साफ कहा है कि राफेल विमानों के सौदे में सभी मानक प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। भारत फ्रांस की रक्षा कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल विमान खरीद रहा है।
एएनआई के अनुसार रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशेन काउंसिल की बैठक में राफेल एयरक्राफ्ट की खरीद और उससे जुड़े नियम-शर्तों को मंजूदी दी गयी थी। रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 24 अगस्त 2016 और 16 सितंबर 2016 को इस खरीद को अंतिम मंजूरी दी थी।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने एएनआई को दिए बयान में मीडिया में आई रिपोर्ट को तथ्यों को पूरी तरह तोड़मरोड़ और मनमाने ढंग से पेश करने वाली खबर बताया है। सरकारी सूत्र ने कहा कि ऐसी मीडिया रिपोर्ट भ्रम फैलाने वाली है।
जब राफेल सौदा हुआ तो मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे। जब मार्च 2017 में पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा देकर गोवा के मुख्यमंत्री बन गये तो रक्षा मंत्रालय का कार्यभार वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा गया। सितंबर 2017 में निर्मला सीतारमन को देश का रक्षा मंत्री बनाया गया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील में घपले का आरोप लगाया है। राहुल गांधी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारोबारी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को राफेल का ठेका दिलवाने में मदद की थी। हालाँकि बीजेपी और अनिल अंबानी ने कांग्रेस को सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया।
किस रिपोर्ट पर है नरेंद्र मोदी सरकार को आपत्ति
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने सितंबर 2016 में फ्रांसीसी समकक्ष के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा किया था। इससे ठीक एक महीने पहले रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विमानों की मानक कीमतों को लेकर आपत्ति जताई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वो अधिकारी कॉन्ट्रैक्ट निगोसिएशन कमेटी के सदस्य भी थे और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे। इस संबंध में उन्होंने कैबिनेट को एक नोट भी लिखा था जो फिलहाल सीएजी के पास है।
रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी की आपत्ति के बाद राफेल विमान सौदे की मंजूरी में देरी भी हुई। रक्षा मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के इस आपत्ति को खारिज करने के बाद सौदे का रास्ता साफ हो सका। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने अपनी आपत्ति में कहा था कि 36 नए राफेल की कीमत पिछले 126 प्रस्तावित राफेल विमानों की मानक कीमत से ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी की आपत्ति वाले नोट को सीएजी आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश कर सकती है। यह भी माना जा रहा है कि इस नोट के साथ यह भी बताया जा सकता है कि कैसे उनकी आपत्ति को बेअसर किया गया।