रवींद्रनाथ टैगोर: जलियाँवाला बाग नरसंहार के विरोध में लौटाई थी नाइटहुड की उपाधि, जानिए उनके बारे में 10 बातें
By स्वाति सिंह | Published: May 6, 2020 11:02 AM2020-05-06T11:02:00+5:302020-05-06T11:02:00+5:30
रवींद्रनाथ नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई थे। वो पहले गैर-यूरोपीय साहित्यकार थे जिसने ये पुरस्कार प्राप्त किया था। 1901 में स्थापित हुए नोबेल पुरस्कार के इतिहास में पहली बार किसी अश्वेत व्यक्ति को साहित्य का नोबेल दिया गया। नोबेल पुरस्कार के रूप में रवींद्रनाथ को मेडल, प्रशस्ति पत्र और आठ हज़ार पाउण्ड का पुरस्कार दिया गया था।
साहित्य को देश और विदेश में एक अगल स्तर की पहचान दिलाने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 7 मई को 159वीं जयंती मनाई जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। मगर बंगला पंचाग के अनुसार वैशाख की 25 तारीख को उनका जन्म हुआ था जो इस बार 8 मई को पड़ रहा है। वह सिर्फ एक कवि ही नहीं बल्कि संगीतकार, चित्रकार और लेखक भी थे। चलिए जानते हैं उनसे जुड़ी बातें-
-टैगोर ने सेंट जेवियर स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन में कानून की पढ़ाई की। लेकिन वह बिना डिग्री लिए ही वापस चले आए। वहीं, टैगोर के भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ने 1864 में देश के पहले आईसीएस बने।
-रवींद्रनाथ टैगोर की शादी 1883 में मृणालिनी देवी के साथ हुई थी। उनकी पत्नी ने बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त की और इंग्लैंड जाकर भी पढ़ाई की। उन्होंने कुछ किताबों का अनुवाद भी किया। टैगोर को उनसे पांच बच्चे हुए।
-रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे पहले शख्स थे जिनकी रचनाओं को दो देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाया जाता है। इनमें एक है भारत का जन गण मन... और दूसरा है बांग्लादेश का अमार शोनार बांग्ला...। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने हजारों गीतों की रचना की है।
-टैगोर की कही कुछ बातें ऐसी हैं जो आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं। वह कहा करते थे कि केवल पानी पर खड़े होकर या उसे देखकर समुद्र पार नहीं किया जाता। इसे पार करने के लिए कदम बढ़ाना होगा। विश्वास को जीवन में अहम मानते हुए वह कहते थे कि ये (विश्वास) वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में प्रकाश का अनुभव कराता है और गाने लगता है।
-टैगोर की लोकप्रिय किताबों में से एक 'द किंग ऑफ द डार्क चैंबर' भी है। जिसकी बीते साल अमेरिका में सात सौ डॉलर (करीब 45 हजार रुपये) में नीलामी हुई है। ये किताब 1916 में मैकमिनल कंपनी ने प्रकाशित की थी, जो टैगोर के हिंदी में लिखे नाटक 'राजा' का अंग्रेजी अनुवाद है। इस नाटक की कहानी एक रहस्यमय राजा से जुड़ी है।
-इसमें कविताओं की प्रस्तुति के अलावा 'रबींद्र कोबिता आर्काइव' में 110 रबींद्र संगीत और 103 अंग्रेजी कविताओं को भी शामिल किया गया है। वहीं टैगोर की 60 सबसे लोकप्रिय कविताओं को 'सबसे प्रसिद्ध कविताएं' नामक एक अलग गैलरी में रखा गया है। पांच साल तक शोध के बाद इन कविताओं को संकलित किया गया।
-गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर चित्र बनाने में भी पारंगत थे। उन्होंने 60 साल की उम्र के दौरान चित्र बनाने शुरू किए थे। उनकी कई प्रदर्शनी यूरोप, रूस और अमेरिका में लगी हैं। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन सहित दर्जनों देशों की यात्राएं की थीं। उन्होंने एक दर्जन से अधिक उपन्यास भी लिखे थे।
-पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में कला और साहित्य का एक अलग रूप दिखता था। इससे टैगोर का गहरा नाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां उनके पिता ने 1863 में ब्रह्मो समाज आश्रम और विद्यालय के रूप में एक आश्रम की स्थापना की थी। फिर यहीं पर रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की।
-रवींद्रनाथ टैगोर की 3,500 कविताओं का एक डिजिटल संग्रह भी है। खास बात ये है कि इस संग्रह में ऐसी 15 कविताएं मौजूद हैं, जिनका पाठ खुद टैगार ने किया था। अन्य 245 कविताओं का पाठ वक्ताओं ने किया है। इस संग्रह को पुर्णेंदु विकास सरकार ने तैयार किया है।
-रवींद्रनाथ नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई थे। वो पहले गैर-यूरोपीय साहित्यकार थे जिसने ये पुरस्कार प्राप्त किया था। 1901 में स्थापित हुए नोबेल पुरस्कार के इतिहास में पहली बार किसी अश्वेत व्यक्ति को साहित्य का नोबेल दिया गया। नोबेल पुरस्कार के रूप में रवींद्रनाथ को मेडल, प्रशस्ति पत्र और आठ हज़ार पाउण्ड का पुरस्कार दिया गया था।