पंजाब, हरियाणा के किसानों ने विरोध मार्च निकाले, पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ीं

By भाषा | Updated: June 26, 2021 18:50 IST2021-06-26T18:50:39+5:302021-06-26T18:50:39+5:30

Punjab, Haryana farmers take out protest marches, police use water cannons | पंजाब, हरियाणा के किसानों ने विरोध मार्च निकाले, पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ीं

पंजाब, हरियाणा के किसानों ने विरोध मार्च निकाले, पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ीं

चंडीगढ़, 26 जून केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को विरोध मार्च निकाले। किसानों ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें छोड़ीं।

केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के 26 जून को सात महीने पूरे होने पर किसानों की योजना यहां पंजाब और हरियाणा के राजभवनों की ओर मार्च करने और ज्ञापन सौंपने की थी। अधिकारियों ने बताया कि पंजाब और हरियाणा राजभवनों की ओर आगे बढ़ने से प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए चंडीगढ़ और इसके आसपास बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।

मोहाली और पंचकूला से आने वाले किसानों को चंडीगढ़ की ओर जाने से रोकने के लिए कई जगहों पर अवरोधक लगाए गए थे। हालांकि मोहाली की ओर से आ रहे आंदोलनकारी किसान पानी की बौछार का सामना करते हुए चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर लगाए गए अवरोधक के माध्यम से जबरदस्ती चंडीगढ़ में प्रवेश कर गए। विरोध करने वाले किसानों में से एक वाटर कैनन वाहन के ऊपर चढ़ गया।

इससे पूर्व पंजाब राजभवन की ओर बढ़ने से पहले पंजाब के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में किसान मोहाली के अम्ब साहिब गुरुद्वारे में एकत्र हुए थे। इसी तरह हरियाणा में भी राज्य के कई हिस्सों से किसान पंचकूला के नाढा साहिब गुरुद्वारे में एकत्र हुए थे और राजभवन की ओर बढ़े।

मोहाली की ओर से आने वाले किसानों का नेतृत्व किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किया, जबकि हरियाणा की ओर से आने वाले किसानों का नेतृत्व बीकेयू (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने किया।

किसान संगठनों के झंडे लिए और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चंडीगढ़ की ओर बढ़े। पुलिस ने उन्हें सेक्टर 17 के पास रोक लिया, जहां पंजाब राजभवन की ओर जाने से प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सड़क पर कुछ बसें खड़ी थीं। वहां राजेवाल ने पंजाब के राज्यपाल को देने के लिए चंडीगढ़ के उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।

इसी तरह, हरियाणा के राज्यपाल को सौंपने के लिए गुरनाम सिंह चढूनी और योगेंद्र यादव ने एक अन्य अधिकारी को ज्ञापन दिया। ज्ञापनों को सौंपने के बाद किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से वापस लौटने की अपील की। ज्यादातर किसानों ने मास्क नहीं लगाया हुआ था और वे कोविड उपयुक्त व्यवहार का भी पालन नहीं कर रहे थे।

चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप चहल ने धैर्य और परिपक्वता के साथ स्थिति को संभालने और स्थिति को हाथ से बाहर नहीं जाने देने के लिए पुलिसकर्मियों की सराहना की।

इस बीच, गैंगस्टर लक्खा सिधाना को भी किसानों के विरोध कार्यक्रम में भाग लेते देखा गया। सिधाना के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर हुई हिंसा में कथित संलिप्तता के लिए मामला दर्ज किया गया था।

इससे पूर्व अम्ब साहिब गुरुद्वारे पर लोगों को संबोधित करते हुए राजेवाल ने तीन कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का इरादा कॉरपोरेट घरानों को ‘‘खेती सौंपना’’ है।

गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान पिछले वर्ष नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध समाप्त नहीं हो सका।

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