पाकिस्तान की तरफ से हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत को पूरी दुनिया से समर्थन मिल रहा है. सऊदी अरब और यूएई जो परंपरागत रूप से पाकिस्तान के समर्थन माने जाते हैं उन्होंने भी इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. अमेरिका पहले ही भारत के साथ आतंक की लड़ाई में खड़ा रहने को लेकर प्रतिबद्धिता जता चुका है. अब इस बीच विभिन्न देशों के प्रतिनिधि विदेश मंत्रालय पहुंच रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि भारत पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए विश्व के ताकतवर देशों का समर्थन जुटा रहा है. पीएम मोदी और अरुण जेटली पहले ही कह चुके हैं कि हम पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने एक्सपोज कर देंगे.
विभिन्न देशों के प्रतिनिधि और ख़ास कर इजराइल, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के समर्थन मिलने से भारत का पक्ष मजबूत होता दिख रहा है. बार-बार आतंकवादी हमले में असहनीय दर्द को झेलने के बाद पाकिस्तान की वैश्विक घेरेबंदी जरूरी है. पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भारत ने आज छिन लिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच कूल व्यापार 2 अरब डॉलर का है और इस हमले के बाद मांग उठ रही है कि पाकिस्तान के साथ सभी तरह के व्यापार को बैन कर दिया जाये.
अलग-थलग पाकिस्तान
मोदी सरकार पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना चाहती है. इसके लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. यूरोपीय यूनियन का साथ मिलने से भारत को कूटनीतिक बढ़त मिल गई है. और अब भारत को इन तमाम देशों की मदद से पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय खुराक को बंद करने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र पर पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने का दबाव डालना होगा.
पाकिस्तान का दरिद्र इतिहास
पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही वो दूसरे देशों के दया दृष्टि पर चल रहा है. शीत युद्ध के दौर में पाकिस्तान ने अमेरिका के पास अपनी अस्मिता को गिरवी रख कर लाखों डॉलर हासिल किए. जब अमेरिका को लग गया कि पाकिस्तान उनके साथ दोहरी चाल चल रहा है तो उसने अपने आर्थिक पैकेज को बहुत हद तक सीमित कर दिया. उसके बाद पाकिस्तान ने अपना ठिकाना और वफादारी दोनों को बदल दिया. उसने सऊदी अरब को ईरान का डर दिखाकर अपनी फटेहाल स्थिति को बहुत हद तक संभाला. अपने परमाणु हथियार सऊदी अरब के पास गिरवी रखकर करोड़ों रुपये हासिल किए और पूरी दुनिया में वहाबी और कट्टरपंथ इस्लाम को फैलाने के लिए भी उसे एक बड़ी धनराशि मिली.