नयी दिल्ली, 12 जनवरी केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि नए कृषि कानूनों में किसानों के जमीन की सुरक्षा अंतर्निहित है और उन्हें भ्रमित किया गया है कि उनकी जमीनें ले ली जाएंगी।
केन्द्र सरकार ने प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान को अपनी जमीन खोनी न पड़े। पीठ ने अगले आदेश तक तीनों विवादित कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन भी शामिल हैं।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘भ्रम फैलाया गया है कि आपकी (किसानों) जमीनें चली जाएंगी और उन्हें छीन लिया जाएगा। किसानों को इस तरह से भ्रमित किया गया है।’’
पीठ ने अपने 11 पन्नों के अंतरिम आदेश में कहा है, ‘‘अभी तक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर फैला भ्रम दूर हो गया है और बताया गया है कि इसे समाप्त नहीं किया जाएगा। सॉलिसीटर जनरल ने इसकी पुष्टि की है कि इन कृषि कानूनों में किसानों की जमीन की सुरक्षा के लिए अंतर्निहित व्यवस्था है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान को अपनी जमीन नहीं खोनी पड़े।
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