प्रियंका गांधी के राजनीति में पदार्पण के बाद की पांच बड़ी संभावनाएं, जिन्हें जानना जरूरी है!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 24, 2019 09:10 AM2019-01-24T09:10:47+5:302019-01-24T09:10:47+5:30
कांग्रेस का दावा है कि प्रियंका को पद देने से राजनीति में नई तरह की सोच और सकारात्मक बदलाव आएगा। वहीं बीजेपी ने इसे राहुल गांधी के नेतृत्व की विफलता का सबूत बताया है।
इस वर्ष मई में लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव खेलते हुए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को औपचारिक रूप से राजनीति के मैदान में उतार दिया है। प्रियंका को कांग्रेस महासचिव नियुक्त किए जाने की घोषणा कर दी गई है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया है। 47 वर्षीय प्रियंका 1999 से हर लोकसभा चुनाव में प्रचार करती रही हैं। वे भाई राहुल गांधी के लिए अमेठी में और मां सोनिया गांधी के लिए रायबरेली में रैलियां करती रही हैं। यह पहली बार है कि उन्हें पार्टी में कोई पद दिया गया है।
प्रियंका के सक्रिय राजनीति में कदम रखने की घोषणा के बाद से ही आगामी चुनाव में उनकी भूमिका तथा प्रभाव को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस और भाजपा ने एक-दूसरे को निशाना बनाने की शुरुआत कर दी है। सूत्रों के अनुसार प्रियंका फरवरी के पहले सप्ताह में कार्यभार संभालेंगी। प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में कदम रखने की घोषणा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि प्रियंका के राजनीति में सक्रिय योगदान से नई तरह की सोच और सकारात्मक बदलाव आएगा।
दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि प्रियंका की इस तरह एंट्री से यह साबित हो गया है कि राहुल गांधी कांग्रेस को नेतृत्व प्रदान करने में फेल हो गए हैं। प्रियंका के अलावा राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी यूपी के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। सिंधिया को महासचिव-प्रभारी (उत्तर प्रदेश-पश्चिम) बनाया गया है। राहुल ने ट्वीट कर कहा, ''आशा से ओतप्रोत और सहृदय भारत के निर्माण में यूपी केंद्रबिंदु है। प्रियंका और ज्योतिरादित्य की अगुवाई वाली यूपी कांग्रेस की नई टीम से राज्य में नई तरह की राजनीति का सवेरा होगा। हम यूपी को बदलने में युवाओं को बेहतरीन मंच प्रदान करेंगे।'
मोदी बनाम प्रियंका
प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री से प्रचार मोदी बनाम प्रियंका हो सकता है। सूत्रों के अनुसार 2014 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा के साथ-साथ पूर्वांचल की सबसे अहम सीट बनारस से चुनाव लड़ा और जीता। बाद में उन्होंने बनारस को चुना और वडोदरा सीट छोड़ दी। यही वजह है कि राहुल ने यहां भाजपा को यहां हाईप्रोफाइल प्रचार में सीधी टक्कर देने के लिए प्रियंका को पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल के दूसरे सबसे चर्चित शहर गोरखपुर से आते हैं। पूर्वांचल में योगी का बड़ा प्रभाव माना जाता है।
रायबरेली से कर सकती हैं दावेदारी
रायबरेली से सोनिया गांधी मैदान में नहीं उतरीं तो प्रियंका हो सकती हैं उम्मीदवार। कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि प्रियंका को रायबरेली सीट से उतारा जा सकता है। अभी यहां से उनकी मां और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी चार बार से सांसद हैं। अस्वस्थता के चलते उन्होंने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया था।
प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से भाजपा में घबराहट
कांग्रेस प्रियंका के सक्रिय राजनीति में प्रवेश को भाजपा द्वारा राहुल गांधी की 'विफलता की स्वीकारोक्ति' करार दिए जाने के बाद कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रियंका का नाम पार्टी महासचिव के रूप में सामने आने से सत्तारूढ़ पार्टी घबरा गई है। पार्टी नेता राजीव शुक्ला ने दावा किया कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में उतरने से यूपी में कांग्रेस में नयी जान आ जाएगी। उन्होंने कहा, ''राहुल जी ने बहुत बड़ा फैसला किया है। इसके भारतीय राजनीति पर दूरगामी परिणाम होंगे। न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह है, बल्कि जनता भी खुश है।''
पति रॉबर्ट वाड्रा बोले
प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में कदम रखने की घोषणा के बाद उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि जिंदगी के हर मोड़ पर वह पत्नी के साथ खड़े हैं। वाड्रा ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ''बधाई पी (प्रिंयका)। जिंदगी के हर मोड़ पर आपके साथ खड़ा हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान करिए।''
इन्हें भी मिली जिम्मेदारी
वेणुगोपाल संगठन महासचिव आजाद को हरियाणा का प्रभार प्रियंका और सिंधिया के साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। पार्टी नेता के.सी. वेणुगोपाल को पार्टी के संगठन महासचिव की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह अशोक गहलोत का स्थान लेंगे जो हाल में राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। पार्टी की ओर से जारी बयान के मुताबिक गुलाम नबी आजाद को हरियाणा का प्रभार सौंपा गया है। आजाद अब तक यूपी के प्रभारी की भूमिका में थे।