प्रणब मुखर्जी ने किया यशवंत सिन्हा की आत्मकथा का विमोचन, कहा- हो सकते थे देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री

By भाषा | Published: July 16, 2019 06:04 AM2019-07-16T06:04:52+5:302019-07-16T06:04:52+5:30

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यशवंत सिन्हा की आत्मकथा का सोमवार को विमोचन किया और उनकी इस टिप्पणी से सहमति जताई कि भारतीय सियासतदान के लिए अर्थव्यवस्था ‘अंतिम प्राथमिकता’ होती है। सिन्हा द्वारा कमलबद्ध ‘रिलेन्टलेस’ को उद्धृत करते हुए मुखर्जी ने कहा कि वह देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री हो सकते थे।

Pranab Mukherjee released Yashwant Sinha's autobiography | प्रणब मुखर्जी ने किया यशवंत सिन्हा की आत्मकथा का विमोचन, कहा- हो सकते थे देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री

प्रणब मुखर्जी ने किया यशवंत सिन्हा की आत्मकथा का विमोचन, कहा- हो सकते थे देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री

Highlightsसिन्हा चंद्रशेखर की 1990 से 1991 तक चली सरकार में वित्त मंत्री थे। सिन्हा ने अपनी पुस्तक में इस बारे में विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने नियमित बजट पेश नहीं करने के परिणामों को महसूस किया।

नयी दिल्ली, 15 जुलाईः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यशवंत सिन्हा की आत्मकथा का सोमवार को विमोचन किया और उनकी इस टिप्पणी से सहमति जताई कि भारतीय सियासतदान के लिए अर्थव्यवस्था ‘अंतिम प्राथमिकता’ होती है। सिन्हा द्वारा कमलबद्ध ‘रिलेन्टलेस’ को उद्धृत करते हुए मुखर्जी ने कहा कि वह देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री हो सकते थे। सिन्हा चंद्रशेखर की 1990 से 1991 तक चली सरकार में वित्त मंत्री थे।

चंद्रशेखर की सरकार नवंबर 1990 में बनी थी जिसे कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था लेकिन जून 1991 में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने की वजह से वह गिर गई थी। मुखर्जी ने किताब में से एक अनुच्छेद पढ़ते हुए कहा कि सिन्हा ने बिल्कुल सही कहा है कि भारत में सियासतदान के लिए अर्थव्यवस्था अंतिम प्राथमिकता होती है।

चन्द्रशेखर सरकार के इर्द-गिर्द के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि सिन्हा देश के पहले सुधारवादी वित्त मंत्री हो सकते थे लेकिन उन्हें ऐसा बजट पेश करने से रोका गया जो देश के आर्थिक परिदृश्य को बदल सकता था। सिन्हा ने अपनी पुस्तक में इस बारे में विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने नियमित बजट पेश नहीं करने के परिणामों को महसूस किया।

उनसे कहा गया था कि सरकार को बचाना अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। भारत 1990 के दशक के शुरुआत में अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुज़र रहा था। इसे बाद में पीवी नरसिम्हा राव सरकार काफी हद तक पटरी पर लेकर आई। उस दौरान मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। सिन्हा मार्च 1998 से जुलाई 2002 तक अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार में वित्त मंत्री थे।

Web Title: Pranab Mukherjee released Yashwant Sinha's autobiography

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