सियासतः क्या राहुल गांधी की सियासी जरूरत की ओर देख पाएंगे कांग्रेसी नेता?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 2, 2019 03:55 PM2019-07-02T15:55:03+5:302019-07-02T15:55:03+5:30

लोकसभा चुनाव हारने के लिए अकेले राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि सियासी सच्चाई तो यह है कि राहुल गांधी की मेहनत के कारण कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 52 सीटें हांसिल कर पाई है, वरना तो बीजेपी के पाॅलिटिकल मैनेजमेंट को देखते हुए तो कांग्रेस के लिए 2014 जितनी सीटें हांसिल करना भी आसान नहीं था.

Politics: Will Congress politicians be able to see political need of Rahul Gandhi? | सियासतः क्या राहुल गांधी की सियासी जरूरत की ओर देख पाएंगे कांग्रेसी नेता?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की फाइल फोटो।

इधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा दे दिया है और इसे वापस नहीं लेने पर अड़े हुए हैं, तो उधर कांग्रेस के विभिन्न मुख्यमंत्रियों सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने इस्तीफे सौंपते हुए यह उम्मीद जताई है कि राहुल गांधी अपने पद पर बने रहेंगे और नए सिरे से कांग्रेस को खड़ा करेंगे. लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी का इस्तीफा देने पीछे उनकी सियासी सोच क्या है और आगे क्या होना चाहिए, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

दरअसल, लोकसभा चुनाव हारने के लिए अकेले राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि सियासी सच्चाई तो यह है कि राहुल गांधी की मेहनत के कारण कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 52 सीटें हांसिल कर पाई है, वरना तो बीजेपी के पाॅलिटिकल मैनेजमेंट को देखते हुए तो कांग्रेस के लिए 2014 जितनी सीटें हांसिल करना भी आसान नहीं था.

लोकसभा चुनाव 2019, कांग्रेस के लिए वन मेन शो से ज्यादा कुछ नहीं था. राहुल गांधी खुद ही सेनापति थे और खुद ही प्रधानमंत्री पद के लिए कोशिश कर रहे थे, जबकि बीजेपी में दो बेहद अनुभवी राजनेता सामने थे, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, नरेन्द्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का अभियान ले कर आगे बढ़ रहे थे. अमित शाह ने सियासी समय की नजाकत देखते हुए शिवसेना, जेडीयू आदि सहयोगियों से उनकी शर्तों पर समझौता कर लिया, जबकि कांग्रेस अपने पुराने सहयोगियों को ही मनाने में नाकामयाब रही.

इतने वर्षों में जहां कांग्रेस का संगठन गुटबाजी में उलझ कर लगातार कमजोर होता गया, वहीं अटल-आडवानी की बदौलत देश में प्रमुख सशक्त संगठन बन कर उभरी बीजेपी को अमित शाह ने इतना विस्तार दिया कि आज देश का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है.

कांग्रेस के सहयोगी संगठन- महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवादल आदि के पास कितने सक्रिय और समर्पित सदस्य हैं, यह जगजाहिर है. जबकि, अकेला संघ इस वक्त देश में समर्पित सदस्यों वाला सबसे बड़ा संगठन है. समर्पित समर्थकों के अभाव में सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर भी बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस बेहद कमजोर नजर आई.

यह सच है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के मुकाबले बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी ही सबसे प्रमुख गैर-बीजेपी नेता हैं, लेकिन उन्हें बतौर सहयोगी ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष की जरूरत है, जो अमित शाह जैसी भूमिका निभा सके. कांग्रेस को पार्ट टाइम सक्रिय कांग्रेस अध्यक्ष के बजाए फुल टाइम सक्रिय अध्यक्ष चाहिए, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक संगठन को फिर से खड़ा कर सके, नई रणनीति तैयार कर सके और राहुल गांधी को 2024 में बतौर पीएम उम्मीदवार सशक्त सियासी आधार दे सके. इस वक्त ऐसे नेता की तलाश ही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है!

Web Title: Politics: Will Congress politicians be able to see political need of Rahul Gandhi?