सियासतः श्रीराम रथयात्रा के बाद अब जम्मू-कश्मीर की आर्टिकल 370 पर उलझन में कांग्रेस?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 8, 2019 03:29 PM2019-08-08T15:29:46+5:302019-08-08T15:43:14+5:30
लोकसभा चुनाव 2019 की जीत ने बीजेपी को राष्ट्रवाद की एक नई राह दिखा दी. यही वजह है कि बीजेपी केन्द्र की सत्ता मे आते ही जम्मू-कश्मीर की आर्टिकल 370 को लेकर इतना बड़ा निर्णय कर पाई है.
श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने श्रीराम रथयात्रा निकाली थी. यह पहला मौका था जब कांग्रेस उलझन में आ गई थी. कांग्रेस के नेता न तो स्वयं समझ पा रहे थे कि क्या करें? और, न ही अपनों को ठीक से समझा पा रहे थे! कांग्रेस नेता घरों में बैठे रहे और उनके परिवारजन श्रीराम रथयात्रा की आरती उतारते रहे.
नतीजा यह रहा कि आजादी के बाद पहली बार बीजेपी का हिन्दू जनाधार तेजी से बढ़ा. इस वक्त जो बीजेपी का विशाल राजनीतिक आधार नजर आ रहा है, यह उसी आंदोलन का परिणाम है. लोकसभा चुनाव 2019 की जीत ने बीजेपी को राष्ट्रवाद की एक नई राह दिखा दी. यही वजह है कि बीजेपी केन्द्र की सत्ता मे आते ही जम्मू-कश्मीर के आर्टिकल 370 को लेकर इतना बड़ा निर्णय कर पाई है.
अब, एक बार फिर कांग्रेस के नेता 370 के मुद्दे पर कोई एकराय नहीं बना पा रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार के निर्णय का विरोध करना बड़ी गलती होगी. यदि कांग्रेस इस मुद्दे पर बीजेपी का विरोध करती है तो, न तो वह अपने नेताओं को राजी कर पाएगी और न ही अपने समर्थकों को समझा पाएगी.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी कहा करते थे कि जब सियासी आंधी चल रही हो तो उसके सामने आंखे खोल कर खड़े रहना राजनीतिक मूर्खता है. वे देश के एक मात्र ऐसे कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे जो आपातकाल के बाद हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराने में कामयाब रहे थे.
पीएम मोदी किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर मौन धारण कर लेते हैं और समय गुजरने देते हैं. राहुल गांधी में ऐसी राजनीतिक चतुराई का अभाव है कि कब बोलना है और कब मौन धारण करना है. यदि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को लेकर किए गए निर्णय में केन्द्र सरकार का समर्थन नहीं कर सकती है तो उसे विरोध से भी बचना चाहिए, वरना एक बार फिर कांग्रेस का बहुत बड़ा समर्थक वर्ग हाथ से निकल जाएगा!