पुलिस की बर्बरता सिक्के का एक पहलू है, बंबई हाईकोर्ट ने कोविड-19 लॉकडाउन पर कहा

By भाषा | Updated: August 17, 2020 19:51 IST2020-08-17T19:51:52+5:302020-08-17T19:51:52+5:30

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘पुलिस को आम आदमी के हितों की हिफाजत का काम सौंपा गया है। ऐसी स्थिति में, कुछ पुलिसकर्मी सिर्फ यह सोचते हैं कि उनके पास लाठी है जिसका वे इस्तेमाल कर सकते है।’’

Police brutality just one side of coin: Bombay high court on covid-19 lockdown | पुलिस की बर्बरता सिक्के का एक पहलू है, बंबई हाईकोर्ट ने कोविड-19 लॉकडाउन पर कहा

लोकमत फाइल फोटो

Highlights अदालत ने कहा कि यदि लोग कानून का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि हमारे बीच ऐसे कई लोग हैं जो लॉकडाउन के दिशानिर्देशों की परवाह नहीं करते

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान ‘‘पुलिस की बर्बरता’’ सिक्के का एक पहलू है और यह उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये लागू प्रतिबंधों का कई नागरिक अनुपालन नहीं कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और नयायमूर्ति अनुज प्रभुदेसाई की खंड पीठ ने कहा, ‘‘हर जगह ‘ब्लैक शीप’ (गलत तरह के लोग) मिल जाते हैं। ’’

उन्होंने अधिवक्ता फिरदौस ईरानी की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिका में लॉकडाउन के दौरान पुलिस की बर्बरता पर चिंता प्रकट की गई है। ईरानी के अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत से सोमवार को कहा कि उनके पास 13 वीडियो हैं जिनमें लॉकडाउन के दिशानिर्देशों का अनुपालन कराने के दौरान लोगों पर पुलिस की ज्यादती दिख रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिसकर्मी यात्रा का कारण पूछे बगैर लोगों को लाठियों से मारते या थप्पड़ मारते दिख रहे हैं।’’ हालांकि, अदालत ने कहा कि इस कहानी के दो पहलू हैं। मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘‘पुलिस की बर्बरता सिक्के का एक ही पहलू है। सच्चाई यह है कि हमारे बीच ऐसे कई लोग हैं जो लॉकडाउन के दिशानिर्देशों की परवाह नहीं करते और पाबंदियों का अनुपालन नहीं करते। हर जगह ‘ब्लैक शीप’ है। ’’

शंकरनारायणन ने दलील दी कि यदि लॉकडाडन की पाबंदियों का लोगों ने उल्लंघन भी किया है तो यह पुलिस को किसी व्यक्ति को पीटने का अधिकार नहीं दे देता। इस पर, अदालत ने कहा कि वह यह फैसला करने के लिये नहीं बैठी है कि किस मामले में या परिस्थिति में लाठी, आंसू गैस या बल प्रयोग करने की जरूरत हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हर मामले या स्थिति को एक जैसा ही नहीं माना जा सकता। ’’ अदालत ने कहा कि यदि लोग कानून का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘पुलिस को आम आदमी के हितों की हिफाजत का काम सौंपा गया है। ऐसी स्थिति में, कुछ पुलिसकर्मी सिर्फ यह सोचते हैं कि उनके पास लाठी है जिसका वे इस्तेमाल कर सकते है।’’ पीठ ने याचिकाकर्ता को इस बारे में अपना सुझाव देने को कहा कि पुलिस को इस तरह के उल्लंघनकर्ता से कैसे निपटना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘‘उसके बाद हम विचार करेंगे कि क्या पुलिस को सुझावों का पालन करने को कहा जा सकता है। ’’ बहरहाल, अदालत ने याचिका की अगली सुनवाई 21 सितंबर के लिये निर्धारित कर दी।

Web Title: Police brutality just one side of coin: Bombay high court on covid-19 lockdown

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