प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर विपक्ष पर हंगामा बोला। उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर कुछ लोग कह रहे हैं कि इसे लाने की इतनी जल्दी क्या थी?
उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने कहा कि हम देश के टुकड़े करना चाहते हैं। विडंबना यह है कि ये वो लोग बोल रहे हैं जो देश के 'टुकड़े टुकड़े' करने वालों के बगल में खड़े होकर फोटो खिंचवाना पसंद करते हैं। कांग्रेस और उसके जैसे दलों ने जिस दिन भारत को भारत की नजर से देखना शुरु किया, उस दिन उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा।
इससे पहले पीएम मोदी ने कहा कि संविधान की वकालत के नाम पर दिल्ली और देश में क्या क्या हो रहा है, वो देश देख भी रहा है, समझ भी रहा है और देश की चुप्पी भी कभी न कभी रंग तो लाएगी ही। सर्वोच्च अदालत संविधान में व्रतीत एक महत्वपूर्ण अंग है, वो सर्वोच्च अदालत बार बार ये कहे कि आंदोलन ऐसे न हो जो सामान्य मानवी को तकलीफ दे और हिंसा के रास्ते पर न चले। लेकिन, वामपंथी और कांग्रेस के लोग वहां जाकर लोगों को उकसा रहे हैं और भड़काऊ बातें कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय हिंदुस्तान की क्या स्थिति थी, लोगों के अधिकार की स्थिति क्या थी, ये मैं इनसे पूछना चाहता हूं। अगर ये लोग मानते कि संविधान इतना महत्वपूर्ण है तो, हिंदुस्तान के संविधान को जम्मू कश्मीर में लागू करने से इन्हें किसने रोका था।
पीएम ने कहा कि कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी। 19 जनवरी 1990 की वो काली रात को कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व पंथ समभाव की है। महबूबा मुफ्ती जी ने कहा था कि 'भारत ने कश्मीर के साथ धोखा किया है। हमने जिस देश के साथ रहने का फैसला किया था, उसने हमें धोखा दिया है। ऐसा लगता है कि हमने 1947 में गलत चुनाव कर लिया था'।
उन्होंने कहा कि संविधान को मानने वाले लोग ऐसी बात को स्वीकार कर सकते हैं क्या? उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को हटाना ऐसा भूकंप लाएगा कि कश्मीर भारत से अलग हो जाएगा। 370 को हटना कश्मीर के लोगों की आजादी का मार्ग प्रशस्त करेगा। क्या ऐसी बातों को कोई स्वीकार कर सकता है क्या?