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संसद के 250 घंटे बर्बाद होने पर PM मोदी का उपवास, UPA-2 में BJP ने बर्बाद कराए थे 900 घंटे

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: April 12, 2018 07:27 IST

बीजेपी ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल में सदन की कार्यवाही में जबर्दस्त हंगामा किया था। सत्ताधारी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी की वजह से करीब 100 विधेयक सदन में लटक गये थे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी 323 सांसद के साथ आज उपवास रहेंगे। वे बजट सत्र ना चलने से खिन्न हैं। सत्ताधारी बीजेपी का आरोप है कि विपक्ष ने वजट सत्र में हंगामा किया और बजट सत्र को नहीं चलने दिया। पीआरएस इंडिया डॉट ओआरजी के आंकड़ों के अनुसार बजट सत्र में 250 घंटे बर्बाद हुए। इस बार बजट सत्र में लोकसभा में कुल 23% और राज्यसभा में 28% कामकाज हुआ।

उल्लेखनीय है कि बजट सत्र 2018 को दो चरणों में आहूत किया गया था। 29 जनवरी से 9 फरवरी के बीच आयोजित किए गए पहले चरण में दोनों सदनों में जबर्दस्त कामकाज हुआ था। लोकसभा में 134% और राज्यसभा में 96% फीसदी प्रोडक्टिव कार्यवाहियां हुईं। लेकिन इसके बाद नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड में चुनाव हुए। तीनों में बीजेपी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकारें बनीं। होली की छुट्टियां रहीं। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने एनडीए से रिश्ता तोड़ा। बैंक घोटालों का बोलबाला रहा।

बज़ट सत्र का उत्तरार्ध 5 मार्च से 6 अप्रैल तक चला। इस दौरान लोकसभा में 4% और राज्यसभा में 8% ही प्रोडक्‍टिव काम हो पाया। क्योंकि बीच में बैंक घोटाले, आंध्र प्रदेश के विशेष दर्जे की मांग, कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन, एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, लेनिन, गांधी और अंबेडकर की मुर्तियां आ गईं। इससे प्रधानमंत्री आहत हैं।

बजट सत्र 2018 की कार्यवाहियां
कार्यवाहीलोकसभा राज्यसभा
बैठकें2930
कामकाज34:5 घंटे44 घंटे
बर्बाद हुआ वक्त127 घंटे 45 मिनट121 घंटे

संसद के दोनों सदनों कार्यवाहियों में करीब 250 घंटे बर्बाद हुए। इसे दौरान दोनों सदनों में कुल 580 सवाल पूछे गए। इनमें से लोकसभा में 17 और राज्यसभा में 19 सवालों के जवाब दिए जा सके। यह बीते 18 सालों में सबसे कम हुआ कामकाज है। इससे पहले वर्ष 2000 में लोकसभा में 21% और राज्यसभा में 27% हुआ कामकाज सबसे कम प्रोडक्टिविटी के लिए जाना जाता था।

बजट सत्र में चर्चा के लिहाज से सबसे खराब सत्र
साललोकसभा में चर्चा में बीता वक्त घंटों मेंराज्यसभा में चर्चा में बीता वक्त घंटों में
20005819.4
200116.311.2
200246.515.4
201046.420.8
201143.523.7
201263.323.7
20132712.7
201451.8    30.4
201564.1 27.4
201663.8 21.7
201752 20.6
201814.5  10.9

बजट सत्र के दौरान हंगामे से खिन्न विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस पर ओछी और घटिया राजनीति करने का आरोप लगाए थे। लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) 2 के शासनकाल में बीजेपी ने सदन की कार्यवाहियों में खलल डालने की प्रथा शुरू की थी।

यूपीए-2 में बीजेपी ने बर्बाद कराए थे सदन के 900 घंटे

साल 2014 के बजट सत्र में जबर्दस्त हुए हंगामों के बाद मीडिया में सदन की कार्यवाहियों को लेकर कई रिपोर्ट आईं। तब यूपीए 2 में विपक्ष, खासतौर पर बीजेपी के सांसदों के हंगामे के चलते सदन के करीब 900 घंटे बर्बाद होने की जानकारी सामने आई थी।

(इसे भी पढ़ेंः सदन ना चलने से नाराज सुषमा स्वराज और मनोज तिवारी को ये जरूर पढ़ना चाहिए)

साल 2013 के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा था, 'अगर सदन में केवल बाधा ही आती रही तो संसद का महत्व और इसकी प्रासांगिकता ही खत्म हो जाएगी।' 

बीजेपी ने यूपीए-2 में अटकाए थे 100 बिल

सयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) 2 के 2010-2014 के कार्यकाल की सदन कार्यवाही में विपक्ष, प्रमुख तौर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने करीब 100 बिल अटकाए। इनमें खाद्य सुरक्षा बिल, भूमि अधिग्रहण बिल, लोकपाल बिल, बीमा कानून (संशोधन) बिल-2008, व्हिसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन बिल, प्रत्यक्ष आयकर संहिता, इश्योरेंस कानून (संशोधन), ज्यूडिशियल स्टैंडर्ड एंड एकाउंटेबिलिटी, सेक्सुअल हरसमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस जैसे बिल थे। 

जनता के पैसों की बर्बादी

संसद की कार्यवाही आयोजित कराने के लिए सीधे भारतीय राजस्व से पैसे आवंटित होते हैं। यह पूरी तरह वह सरकारी पैसा होता है जो आमजन से टैक्‍स व अन्य माध्यमों से वसूला जाता है। सांसदों, लोकसभा स्पीकर, राज्यसभा सभापति (उपराष्ट्रपति) के वेतनमान भी राजकोष से दिए जाते हैं।

साल 2014 में भारतीय संसद के चलने के खर्चों की खूब चर्चा रही। तब हुए आकलन के अनुसार एक साल में भारतीय संसद करीब 80 दिनों तक चलती है। लोकसभा-राज्यसभा दोनों सदनों में रोजाना औसतन 6 घंटे कार्यवाही चलती है। तब सामने आए एक आंकड़े के अनुसार संसद के शीतकालीन सत्र पर 144 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

(इसे भी पढ़ेंः AP 12th Result 2018: आज आएंगे आंध्र प्रदेश बोर्ड AP Inter 2nd Year के रिजल्ट, इन आसान तरीकों से देखें रिजल्ट)

उसके अनुसार सदन की 1 मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपये होती है। इसी को अगर घंटेभर की कसौटी पर कसें तो हम पाएंगे कि जिस दौरान हम टीवी पर सांसदों को नारेबाजी करते देख रहे होते हैं, उसी दौरान करीब 1.5 करोड़ रुपये खर्च हो चुके होते हैं। इनमें सांसदों को मिलने वाले वेतन के मानदेय को भी शामिल किया गया था।

ऐसे में अगर पिछली सरकार के सदन कार्यवाही के 900 घंटों के बर्बादी का आकलन करें तो पाएंगे कि अरबों रुपये की बर्बादी महज संसद को चलाने और उसमें आई बाधाओं में चले गए।

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