विचाराधीन कैदियों को नियमित रूप से अदालत में पेश नहीं करने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर

By भाषा | Updated: October 4, 2021 21:44 IST2021-10-04T21:44:01+5:302021-10-04T21:44:01+5:30

Petition filed in court for not regularly presenting undertrial prisoners in court | विचाराधीन कैदियों को नियमित रूप से अदालत में पेश नहीं करने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर

विचाराधीन कैदियों को नियमित रूप से अदालत में पेश नहीं करने को लेकर न्यायालय में याचिका दायर

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर देश भर की निचली अदालतों में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उठाते हुए कहा गया है कि विचाराधीन कैदियों को हर तारीख पर जेल से संबंधित अदालत में पेश करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

दिल्ली में एक जिला अदालत में 24 सितंबर को हुई गोलीबारी का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि अगर निचली अदालत उचित समझती है कि किसी विशेष मामले में विचाराधीन व्यक्ति की उपस्थिति होनी चाहिए तो उन्हें जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश करने का आदेश दिया जा सकता है। गोलीबारी की इस घटना में जेल में बंद गैंगस्टर सहित तीन लोग मारे गए थे

वकील ऋषि मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के कई प्रावधानों का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि संबंधित निचली अदालतों को जब लगे कि विचाराधीन को पेश किए जाने की जरूरत है तो उन्हें विशेष आदेश देना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि निचली अदालत के समक्ष एक आरोपी को जेल से वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश करने का आदेश दिया जा सकता है और खासकर गैंगस्टरों के मामलों में ताकि जनता की सुरक्षा के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा भी बरकरार रहे और दूसरी ओर आरोपी के अधिकार में भी संतुलन रहे।

याचिका में कहा गया है कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि एक विचाराधीन के खिलाफ मुकदमा चल रहा हो तो उसे अदालत के सामने पेश होने का संवैधानिक अधिकार है।

इसमें कहा गया है कि सीआरपीसी के कई प्रावधान संबंधित अदालत को शक्ति देते हैं कि सामान्य मुकदमे की कार्यवाही के दौरान जेलों से विचाराधीन कैदी को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जा सकती है।

उसमें कहा गया है कि पूरे देश में विचाराधीन कैदियों को हर तारीख पर नियमित रूप से जेलों से निचली अदालतों में पेश किया जाता है, जिससे सरकारी खजाने पर अनावश्यक रूप से भार पड़ता है और जनता और खासकर, कुख्यात गैंगस्टर व आदतन अपराधी के मामले में आरोपी की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।

इससे पहले, शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर कर केंद्र और राज्यों को रोहिणी जिला अदालत में हुई गोलीबारी के मद्देनजर अधीनस्थ अदालतों में सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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Web Title: Petition filed in court for not regularly presenting undertrial prisoners in court

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