पेगासस विवाद से ‘सीधे प्रभावित’ लोग जल्द ही पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित पैनल के सामने पेश होंगे : सदस्य

By भाषा | Updated: December 2, 2021 20:32 IST2021-12-02T20:32:14+5:302021-12-02T20:32:14+5:30

People 'directly affected' by Pegasus controversy will soon appear before a panel set up by West Bengal government: Member | पेगासस विवाद से ‘सीधे प्रभावित’ लोग जल्द ही पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित पैनल के सामने पेश होंगे : सदस्य

पेगासस विवाद से ‘सीधे प्रभावित’ लोग जल्द ही पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित पैनल के सामने पेश होंगे : सदस्य

कोलकाता, दो दिसंबर पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये कथित फोन-टैपिंग से ‘‘सीधे प्रभावित’’ होने का दावा करने वाले व्यक्तियों का बयान 13 दिसंबर से दो सदस्यीय जांच आयोग के समक्ष दर्ज होना शुरू होगा । पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ज्योतिर्मय भट्टाचार्य ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी ।

आयोग के एक अन्य सदस्य उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मदन बी लोकुर हैं।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘सीधे प्रभावित होने का दावा करने वालों का बयान 13 दिसंबर से आयोग में दर्ज होना शुरू होगा।’’

कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को बुधवार को आयोग में पेश होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रशांत किशोर को इस संबंध में नोटिस भेजा था, कल बुधवार को उनके बयान के लिए एक तारीख तय की गई थी, लेकिन वह न तो आए और न ही शामिल हुए।’’

आयोग के समक्ष प्रत्यक्ष अथवा आनलाइन तरीके से उपस्थित होने का प्रावधान है।

भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने अभी तक किशोर की गवाही देने की नयी तारीख तय नहीं की है ।’’ उन्होंने कहा कि उनसे पुष्टि होने के बाद ही तारीख तय की जाएगी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका नाम उन लोगों की सूची में शामिल था, जिनके फोन नंबर कथित स्नूपगेट में थे।

भट्टाचार्य ने कहा कि साइबर अपराध के दो विशेषज्ञ इस सप्ताह आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने वाले हैं। उन्होंने कहा कि सूचना देने वालो की गवाही 29 नवंबर से शुरू हुयी थी जो अब समाप्त हो गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के दो वकीलों ने पूरे विवाद की जानकारी देते हुए आयोग के सामने गवाही दी है ।

उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से एक अपार गुप्ता थे, जिन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष जासूसी विवाद से संबंधित मामलों और साइबर मुद्दों पर जानकारी देने में मदद की थी।’’

उन्होंने कहा कि दो और व्यक्तियों, एक पुणे से और दूसरा उत्तर प्रदेश से, बृहस्पतिवार को आयोग के समक्ष पेश हुए।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘उनमें से कोई भी सीधे प्रभावित नहीं हुआ है। ऐसे लोग (सीधे प्रभावित वाले) अगले चरण में आयोग के सामने पेश होंगे।’’

उन्होंने बताया कि इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर का उपयोग करके कथित फोन टैपिंग से सीधे प्रभावित होने का दावा करने वाले लोगों ने आयोग के समक्ष अपने हलफनामे प्रस्तुत किए हैं।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इन लोगों में एक प्रसिद्ध समाचार पोर्टल के संयुक्त संस्थापक संपादक और एक अनुभवी पत्रकार भी शामिल हैं।

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