पेगासस : पश्चिम बंगाल जांच का आदेश देने वाला पहला राज्य, संसद में मुद्दे पर हंगामा जारी

By भाषा | Updated: July 26, 2021 22:47 IST2021-07-26T22:47:20+5:302021-07-26T22:47:20+5:30

Pegasus: West Bengal is the first state to order a probe, the issue continues in Parliament | पेगासस : पश्चिम बंगाल जांच का आदेश देने वाला पहला राज्य, संसद में मुद्दे पर हंगामा जारी

पेगासस : पश्चिम बंगाल जांच का आदेश देने वाला पहला राज्य, संसद में मुद्दे पर हंगामा जारी

कोलकाता/नयी दिल्ली, 26 जुलाई पेगासस विवाद को लेकर संसद में लगातार पांचवें दिन जारी गतिरोध के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग की घोषणा की और इसके साथ ही इस मामले में जांच का आदेश देने वाला बंगाल देश का पहला सूबा बन गया।

यह चौंकाने वाला घटनाक्रम तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नयी दिल्ली के लिए उड़ान भरने से कुछ समय पहले हुआ, वहीं कांग्रेस ने दावा किया कि जासूसी विवाद पर संसद में चर्चा की मांग को लेकर समूचा विपक्ष “एकजुट” है।

कांग्रेस ने कहा कि विपक्ष इस पूरे प्रकरण की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच चाहता है जबकि पार्टी नेता शशि थरूर ने संकेत दिया कि विपक्षी दल सरकार के चर्चा के लिये राजी होने तक संसद की कार्यवाही को बाधित करना जारी रखेंगे।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा घोषित आयोग के दो सदस्य होंगे।

बनर्जी ने कहा, ‘‘कभी-कभी, आपको कुछ लोगों को जगाने की जरूरत होती है जब वे सो रहे हों। मेरा मानना है कि हमारे (पश्चिम बंगाल सरकार) द्वारा उठाया गया यह छोटा कदम दूसरों को जगाएगा… मैं न्यायमूर्ति भट्टाचार्य और लोकुर साहब से तुरंत जांच शुरू करने का अनुरोध करूंगी।’’ उन्होंने पिछले हफ्ते केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश पर ‘निगरानी वाला राष्ट्र’ बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल को उम्मीद थी कि फोन हैक किये जाने की घटना की पड़ताल के लिये केंद्र जांच आयोग बनाएगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, “लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है ... इसलिए हमने जांच के लिए एक आयोग गठित करने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है।”

बनर्जी ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने 1952 के जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई अवैध हैकिंग, निगरानी, निगरानी में रखने, पश्चिम बंगाल में विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग के मामले में जांच आयोग के गठन को आज मंजूरी दी।

बनर्जी ने दिल्ली रवाना होने से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे इस बात की जांच करेंगे कि इस हैकिंग मामले में कौन शामिल हैं और वे इस अवैध गतिविधि को कैसे कर रहे हैं। साथ ही यह भी जांच करेंगे कि वे दूसरों को कैसे चुप करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही इस अवैध कदम को रोकने के लिये उठाए गए कदमों पर गौर किया जाना भी जरूरी है। दिल्ली में बनर्जी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात का भी कार्यक्रम है।

जांच आयोग अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य दोनों जांच बैठा सकते हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के इस कदम को केंद्र को व्यापक जांच का आदेश देने के लिए मजबूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि सूची में संभावित लक्ष्यों में कई राज्यों के लोग शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पेगासस लक्ष्य सूची में पश्चिम बंगाल के लोगों के नाम शामिल हैं। पश्चिम बंगाल के पत्रकार हैं जिनके फोन टैप किए गए हैं। हमें यह भी पता लगाने की जरूरत है कि इस स्पाइवेयर से न्यायपालिका में कौन प्रभावित हुए।’’

खबरों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी सांसद एवं मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर स्पाईवेयर के संभावित निशाने पर थे।

उधर, लोकसभा और राज्यसभा में आज भी कथित फोन टैपिंग और अन्य मुद्दों को लेकर सदन की कार्यवाही कई बार बाधित होने के बाद अंतत: दोनों सदनों को दिन भर के लिये स्थगित करना पड़ा। विपक्ष इन मुद्दों पर सदन में चर्चा की मांग कर रहा था।

हंगामे की बीच लोकसभा में दो विधेयकों को पारित कराकर सरकार ने अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाया।

यह 19 जुलाई को शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पारित होने वाले पहले दो विधेयक हैं। कथित पेगासस जासूसी विवाद, ईंधन के दाम में वृद्धि, तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सत्र की शुरुआत से ही सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हो चुकी है।

बार-बार स्थगन के बाद अपराह्न तीन बजे जब लोकसभा में कार्यवाही शुरू हुई तब सदन में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ‘फेक्टर विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020’ और ‘राष्ट्रीय खाद्य उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021’ पारित किये गए। दोनों विधेयकों पर चर्चा नहीं हो सकी क्योंकि इनको पारित करने के दौरान विपक्षी सदस्यों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए।

राज्यसभा में शोरगुल के बीच सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत, कामकाज स्थगित कर कुछ मुद्दों पर चर्चा के लिए कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, द्रमुक के तिरूचि शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय सहित कुछ सदस्यों के नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने इन नोटिसों को मंजूरी नहीं दी है। नायडू ने कहा कि आज शून्यकाल के तहत अलग अलग मुद्दे उठाने के लिए उन्हें 12 सदस्यों से नोटिस प्राप्त हुए हैं और विशेष उल्लेख भी हैं। इसके अलावा अन्य कामकाज भी होना है।

नियम 267 के तहत दिन के निर्धारित कामकाज से इतर आसन की अनुमति से चर्चा के लिये किसी भी मुद्दे को उठाया जा सकता है।

राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुबह में अपने चैंबर में विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की और मामले पर चर्चा के लिए नियम-267 के तहत नोटिस देने का फैसला किया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘‘पूरा विपक्ष एकजुट है। प्रधानमंत्री या गृहमंत्री की उपस्थिति में पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा कराई जाए। उच्चतम न्यायालय की निगरानी में पूरे मामले की जांच की घोषणा की जाए।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ ससंद काम नहीं कर रही क्योंकि सरकार इन जायज मांगों को नहीं मान रही है।’’

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने रमेश के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘हमें इसकी संसद में जरूरत है। पीयूष गोयल के कार्यालय में ग्रीन टी की जरूरत नहीं है। धन्यवाद। लेकिन धन्यवाद नहीं।’’ ब्रायन दरअसल राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल की पेशकश का संदर्भ दे रहे थे जिन्होंने अपने कार्यालय में मामले को सुलझाने और संसद को सुचारु रूप से चलने देने का रास्ता तलाशने के लिए विपक्षी नेताओं को चाय पर बुलाया था।

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