पेगासस: महाराष्ट्र के अधिकारियों की 2019 में इजराइल यात्रा पर अदालत का राज्य सरकार को नोटिस

By भाषा | Updated: August 5, 2021 19:10 IST2021-08-05T19:10:09+5:302021-08-05T19:10:09+5:30

Pegasus: Court notice to state government on Maharashtra officials' visit to Israel in 2019 | पेगासस: महाराष्ट्र के अधिकारियों की 2019 में इजराइल यात्रा पर अदालत का राज्य सरकार को नोटिस

पेगासस: महाराष्ट्र के अधिकारियों की 2019 में इजराइल यात्रा पर अदालत का राज्य सरकार को नोटिस

मुंबई, पांच अगस्त बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के सूचना एवं जन संपर्क महानिदेशालय (डीजीआईपीआर) के अधिकारियों की 2019 की इजराइल यात्रा को लेकर एक जनहित याचिका पर बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को एक नोटिस जारी किया।

दरअसल, याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया है कि यह यात्रा ‘‘पेगासस जैसे स्पाइवेयर’’ खरीदने के लिए की गई थी। जनहित याचिका (पीआईएल) में इस यात्रा की न्यायिक जांच करने का अनुरोध किया गया है।

लक्ष्मण बुरा और दिगंबर द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अब जगजाहिर हो चुके फोन टैपिंग मामलों और इजराइल यात्रा के बीच संभवत: तार जुड़े हुए हैं।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह की विदेश यात्रा की अनुमति देने वाले कई नियमों का इस प्रक्रिया में उल्लंघन किया गया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील, अधिवक्ता तेजेश दांडे ने अदालत में कहा, ‘‘इजराइल के पास वेब मीडिया (अध्ययन यात्रा का विषय) पर ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को इसका लाभ मिलता। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनका(याचिकाकर्ताओं का) कहना है कि इजराइल भेजने का मुख्य मकसद पेगासस जैसा जासूसी सॉफ्टवेयर हासिल करना था।’’

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य सरकार, डीजीआईपीआर और पांच अधिकारियों को चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इन सभी को जनहित याचिका में में पक्षकार बनाया गया है।

याचिका में कहा गया है कि 15 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद, डीजीआईपीआर के पांच चयनित वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल ‘‘एडवांस वेब मीडिया’’ का अध्ययन करने के लिए 10 दिनों की इजराइल यात्रा पर भेजा गया था।

पीआईएल में आरोप लगाया गया है कि उस अवधि में सरकारी विभागों के लिए राज्य में काफी व्यस्त बातचीत चल रही थी। यात्रा मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार या चुनाव आयोग की अनिवार्य अनुमति के बगैर की गई थी तथा यह राज्य सरकार के 2014 के संकल्प में ऐसी यात्राओं के लिए निर्धारित विभिन्न नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थी।

याचिका में कहा गया है, ‘‘इजराइल, कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता है। इसके उलट, अध्ययन यात्रा का विषय वेब मीडिया के उपयोग पर ज्ञान बढ़ाना था।’’

इसमें दावा किया गया है कि इस यात्रा पर सरकारी खजाने से करीब 14 लाख रुपये खर्च किये गये थे।

याचिका में कहा गया है कि साथ ही, सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मिले जवाबों में कहा गया है कि यात्रा के प्रस्ताव को आनन-फानन में तैयार किया गया और कई नियमों का उल्लंघन किया गया था तथा इसे सरकार ने कहीं से भी अनुमति नहीं दी थी।

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या उच्चतम न्यायालय इसी तरह के मुद्दे पर विचार कर रहा है। इस पर, अधिवक्ता दांडे ने कहा कि शीर्ष अदालत में पेगासस विवाद से जुड़ी एक याचिका में शामिल किये गये मुद्दे अलग हैं।

इसके बाद, पीठ ने नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों से अपना जवाब चार हफ्तों में हलफनामे के रूप में दाखिल करने का निर्देश दिया।

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Web Title: Pegasus: Court notice to state government on Maharashtra officials' visit to Israel in 2019

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