उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों की फंडिंग वाली रूसा योजना में 87 फीसदी की कटौती, चार साल में यूजीसी की फंडिंग 43 करोड़ से 38 लाख हुई
By विशाल कुमार | Published: February 3, 2022 10:37 AM2022-02-03T10:37:48+5:302022-02-03T10:43:10+5:30
केंद्र द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़े बताते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बड़ी और छोटी शोध परियोजना योजनाओं के तहत अनुदान भी 2016-17 में 42.7 करोड़ रुपये से धीरे-धीरे घटकर 2020-21 में 38 लाख रुपये हो गया है।
नई दिल्ली: राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार लाने वाले सरकारी खर्चों के साथ ही शोध कार्यक्रमों में हाल के सालों में तेजी से कमी देखी गई है। बीते बुधवार को संसद में रखे गए आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य स्तरीय संस्थानों को सहायता उपलब्ध कराने वाली ऐसे ही एक योजना राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के वास्तविक खर्चे में 87 फीसदी की कटौती की गई है और यह साल 2019-20 में 1277.82 करोड़ से कम होकर 2020-21 में 165.2 करोड़ हो गई है। साल 2016-17 में यह राशि 1126.9 करोड़ रुपये, 2017-18 में 1245.97 करोड़ रुपये और 2018-19 में 1393 करोड़ रुपये थी।
शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद जवाहर सरकार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।
इस योजना के तहत शैक्षणिक संस्थानों की लाइब्रेरियों की फंडिंग भी की जाती है। बिहार के एक सरकारी कॉलेज के एक अधिकारी ने कहा कि संस्था तीन साल से किताबें खरीदने के लिए रूसा के तहत अनुदान का इंतजार कर रही थी।
केंद्र द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़े बताते हैं कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बड़ी और छोटी शोध परियोजना योजनाओं के तहत अनुदान भी 2016-17 में 42.7 करोड़ रुपये से धीरे-धीरे घटकर 2020-21 में 38 लाख रुपये हो गया है।
माकपा के राज्यसभा सदस्य वी. शिवदासन के एक अलग प्रश्न के लिए सरकार ने डेटा पेश किया जिससे पता चला कि यूजीसी की कई फेलोशिप और छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए धन में कमी आई है।
यूजीसी द्वारा दी गई एमेरिटस फैलोशिप की संख्या 2017-18 में 559 से घटकर 2020-21 में 14 हो गई है। इसी अवधि के दौरान मानविकी में डॉ. एस. राधाकृष्णन पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप की संख्या 434 से घटकर 200 हो गई। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप 2020-21 में 2,348 छात्रों को दी गई, जो 2016-17 में 4,141 छात्रों को दी गई थी।