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मोदी सरकार पिछले दरवाजे से कानूनों में संशोधन करने के लिए वित्त विधेयक का ले रही है सहारा

By शीलेष शर्मा | Updated: July 18, 2019 18:52 IST

आरएसपी के एन.के. प्रेमचंदन ने पूर्व लोकसभा अध्यक्षों की अनेक व्यवस्था को रेखांकित करते हुए संविधान और संसदीय नियमों का हवाला दिया यह साबित करने के लिए कि अनिश्चितका के लिए किस तरह के संशोधनों को वित्त विधेयक के रुप मे पेश नहीं किए जा सकते.

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ठळक मुद्देसरकार द्वारा वित्त विधेयक की आड़ में कानूनों में संशोधन करने को लेकर विपक्ष ने लोकसभा में गुरुवार (17 जुलाई) कड़ी आपत्ति जताई. विपक्ष का आरोप था कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले दरवाजे से कानूनों में संशोधन करने के लिए वित्त विधेयक का सहारा ले रही है जो संसदीय परंपराओं का घोर उल्लंघन है. यह स्थिति उस समय पैदा हुई जब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त विधेयक के जरिए माल एवं सेवा कर, जीएसटी, प्रत्यक्ष कर, आयकर और धन शोधन रोकथाम अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव सदन में रखा. 

सरकार द्वारा वित्त विधेयक की आड़ में कानूनों में संशोधन करने को लेकर विपक्ष ने लोकसभा में गुरुवार (17 जुलाई) कड़ी आपत्ति जताई. विपक्ष का आरोप था कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले दरवाजे से कानूनों में संशोधन करने के लिए वित्त विधेयक का सहारा ले रही है जो संसदीय परंपराओं का घोर उल्लंघन है. 

यह स्थिति उस समय पैदा हुई जब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त विधेयक के जरिए माल एवं सेवा कर, जीएसटी, प्रत्यक्ष कर, आयकर और धन शोधन रोकथाम अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव सदन में रखा. 

आरएसपी के एन.के. प्रेमचंदन ने पूर्व लोकसभा अध्यक्षों की अनेक व्यवस्था को रेखांकित करते हुए संविधान और संसदीय नियमों का हवाला दिया यह साबित करने के लिए कि अनिश्चितका के लिए किस तरह के संशोधनों को वित्त विधेयक के रुप मे पेश नहीं किए जा सकते.

  उनका सीधा आरोप था कि सरकार  पिछले दरवाजे से कानून में संशोधन करने की कोशिश कर रही है जो परंपराओं के विपरीत है और गैर संवैधानिक भी. प्रेम चंद्रन ने  अनेक अनुच्छेद और नियमों का ब्यौरेवार उल्लेख किया लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें खारिज करते हुए वित्तमंत्री को  संशोधनों को वित्त विधेयक के रुप में पेश करने की अनुमति दे दी. 

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भी कड़ी आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि सरकार संसदीय प्रक्रिया और उसके अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है.

भाजपा के निशिकांत दुबे ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि वित्तमंत्री द्वारा जो विधेयक पेश किया गया है वह पूरी तरह संविधान सम्मत है तथा लोकसभा अध्यक्ष को अधिकार है कि वह अपनी व्यवस्था देकर उसे मनी बिल के रुप में मान्यता दे सके. 

जनता दल यू के राजीव रंजन सिंह ने अधीर रंजन चौधरी की दलीलों का विरोध करते हुए टिप्पणी की कि वह अध्यक्ष की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहे है. चौधरी भी पलटवर करने में पीछे नहीं रहे और सरकार पर हमला बोलेते हुए कहा कि मैक इन  इंडिया पूरी तरह विफल रही है यह सरकार केवल नाम बदलने और उसका प्रचार करने का कम कर रही है जबकि जमीन पर कुछ नहीं है. 

पांच हजार अरब  डॉलर की अर्थव्ययस्था के लक्ष्य का तो कांग्रेस ने समर्थन किया लेकिन साथ ही यह भी कह डाला कि इसको हासिल करने की कोई स्पष्ट नीति  सरकार के सामने नहीं है.  उन्होंने दलील दी कि मौजूदा समय में जो तीन हजार अरब डॉलर का जो लक्ष्य अब जो हासिल होने जा रहा है वह आजादी के बाद कांग्रेस तथा अन्य दलों के द्वारा किए गए विकास का नतीजा है.  

उनका मानना था कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के  लिए आठ फीसदी जीडीपी चाहिए जो आज नहीं है. बेरोजगारी चरम पर है, निर्यात घट रहा है. निवेश की संभावनाएं नजर नही आ रही. फिर आखिर सरकार इस लक्ष्य को हासिल करेगी. 

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