संसद ने दी SPG अधिनियम संशोधन विधेयक को मंजूरी, जानें क्या है एसपीजी सुरक्षा कवर?
By स्वाति सिंह | Published: December 3, 2019 05:20 PM2019-12-03T17:20:41+5:302019-12-03T17:20:41+5:30
विशेष सुरक्षा दल (SPG) को 02 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था। पहले देश में चार लोगों को ये सुरक्षा दी जाती थी। लेकिन अब सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
संसद ने विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) कानून में संशोधन करने संबंधी एक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी तथा सरकार ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन राजनीतिक प्रतिशोध के चलते किसी परिवार को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया है बल्कि इससे प्रधानमंत्री सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। राज्यसभा ने विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
विशेष सुरक्षा दल (Special Protection Group- SPG) को 02 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था। पहले देश में चार लोगों को ये सुरक्षा दी जाती थी। लेकिन अब सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को एसपीजी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसमें तैनात कमांडो के पास अत्याधुनिक हथियार और कोम्युनिकेशन गैजेट होते हैं। इसके जवानों को अमेरिका की सिकेट सर्विस की तर्ज पर ट्रेनिंग मिलती है। SPG पर प्रधानमंत्री की चौबीस घंटे की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इसमें कुल 6 लेयर की सिक्योरिटी होती है।
अब एसपीजी सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिजनों के सुरक्षा मुहैया कराती है। एसपीजी के जवानों का चयन BSF, CISF, ITBP, CRPF से किया जाता है। इन जवानों को अमेरिका की सीक्रेट सर्विस के एजेंट के तर्ज पर ट्रेनिंग दी जाती है। ये जवान एक फुली ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं।
इन कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। इसके साथ ही कमांडो अपनी सेफ्टी के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं। आपने अक्सर एसपीजी जवानों को काला चश्मा पहने हुए देखा होगा, जवान एक स्पेशल ब्लैक ग्लॉस लगाते हैं, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होता।
खास बात यह है कि SPG हमलावर नहीं बल्कि रक्षात्मक फोर्स है। इनका काम मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में पीएम का हिफाजत करना होता है। एसपीजी के गार्ड्स को आसपास के लोगों के शरीर या इशारों में किसी भी तरह के कारक का आकलन करके संभावित खतरों को समझने के लिए अत्यधिक प्रशिक्षित किया जाता है।
अगर एसपीजी सुरक्षा होल्डर कोई रोड शो करते हैं तो बुलेटप्रुफ गाड़ी में सफर करते हैं। एसपीजी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के काफिले में दो डमी कारें भी चलती हैं। एसपीजी सुरक्षा होल्डर के साथ चलने वाली सब गाड़ियों में एनएसजी के अचूक निशाने वाले कमांडो होते हैं। इसके अलावा अगर पीएम कोई रैली या रोड शो कर रहे होते हैं तो उनके आस-पास और आगे-पीछे वर्दी और सादे कपड़ों में एनएसजी के कमांडो चलते हैं। एसपीजी के गार्ड्स या तो टाई-सूट में होते हैं या सफारी सूट में।
साल 1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की हुआ करती थी। लेकिन अक्टूबर 1981 में इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया।
इसके बाद 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि एक विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा द्वारा संभालना चाहिए। तब एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की। मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश पेश की। 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया। इसे नाम दिया गया स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप। दो जून 1988 में संसद में इस अधिनियम को मंजूरी मिली।