Pakistani bank Habib Bank Ltd: एलओसी के पास शाखाएं बंद कर रहे हैं पाकिस्तानी बैंक, पहलगाम का असर
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 2, 2025 15:38 IST2025-05-02T15:37:01+5:302025-05-02T15:38:04+5:30
Pakistani bank Habib Bank Ltd: तातापानी हाजिरा रोड को बंद करके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

photo-lokmat
जम्मूः पाकिस्तानी बैंक एलओसी के पास अपनी शाखाएं बंद कर रहे हैं। पाकिस्तानी बैंक हबीब बैंक लिमिटेड ने शाखा बंद कर दी। रक्कड़ धार बाजार शाखा पीओजेके को अचानक बंद कर दिया गया और शाखा के बाहर एक नोटिस चिपका दिया गया जिसमें लिखा था "एलओसी/सीमा क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दों के कारण बैंक और एटीएम बंद हैं।" पीओजेके के पुंछ जिले के रक्कड़ में स्थानीय लोगों के बीच दहशत और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। कथित तौर पर स्थानीय लोगों को गंभीर वित्तीय लेन-देन का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनके व्यवसाय और दिन-प्रतिदिन के काम भी प्रभावित हो रहे हैं।
क्षेत्र के निवासियों ने आज तातापानी हाजिरा रोड को बंद करके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। स्थानीय लोगों का दावा है कि हाजिरा, खाई गला और तरारखाल की शाखाएं भी कभी भी बंद हो सकती हैं। जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में भय और अनिश्चितता का माहौल है।
क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने लगातार आठवीं रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अग्रिम चौकियों को निशाना बनाकर बिना उकसावे के गोलाबारी की। भारतीय सेना ने गोलाबारी का तेजी से जवाब दिया। भारतीय सेना ने जारी एक बयान में कहा कि कल रात भी पाकिस्तानी सेना की चौकियों ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में कुपवाड़ा, उड़ी और अखनूर के सामने नियंत्रण रेखा पर बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने भी उसी अनुपात में जवाब दिया।
पाकिस्तानी सेना ने पिछले सप्ताह कुपवाड़ा, उड़ी और अखनूर सेक्टरों सहित 18 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। राजौरी निवासी मोहम्मद सुलेमान इसकी पुष्टि करते हुए कहते थे कि लगातार 8वें दिन भी नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी जारी है, जिससे स्थानीय लोगों में डर बढ़ गया है।
वे कहते थे कि कई सालों की शांति के बाद, अब हम भूमिगत बंकरों में शरण ले रहे हैं, इस डर से कि हम फिर से गोलीबारी में फंस सकते हैं। जबकि पुंछ के एक किसान काशिम खान का कहना था कि युद्ध विराम ने उनके बच्चों को बेहतर भविष्य की उम्मीद दी है। अब, गोलाबारी फिर से शुरू होने के कारण, हमें चिंता है कि उनकी शिक्षा बाधित होगी, और हमें फिर से भागने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
करनाह के मुश्ताक अहमद के शब्दों में, चार साल की शांति के बाद, सीमा पार से गोलीबारी को लेकर नए सिरे से तनाव ने हमें लगातार डर में डाल दिया है। हमारा जीवन एक बार फिर अनिश्चित है। हम प्रार्थना करते हैं कि युद्ध विराम कायम रहे। इसने स्थिरता लाई है, बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, और सीमा पर्यटन को बढ़ावा दिया है। हम अतीत की अस्थिरता में वापस नहीं जाना चाहते।