विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को घोषित किया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, शरद पवार ने की घोषणा
By शिवेंद्र राय | Updated: July 17, 2022 17:33 IST2022-07-17T17:02:42+5:302022-07-17T17:33:48+5:30
सत्ताधारी राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित करने का बाद अब विपक्ष ने भी अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। मार्गरेट अल्वा विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी। उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त 2022 को होगा।

विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है ( तस्वीर-ट्विटर से)
नई दिल्ली: सत्ताधारी राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित करने का बाद अब विपक्ष ने भी अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। मार्गरेट अल्वा विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी। मार्गरेट अल्वा की उम्मीदवारी की घोषणा शरद पवार ने की। मार्गरेट अल्वा राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल रह चुकी हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।
Delhi | Opposition's candidate for the post of Vice President of India to be Margaret Alva: NCP chief Sharad Pawar pic.twitter.com/qkwyf7FMOw
— ANI (@ANI) July 17, 2022
जगदीप धनखड़ से होगी टक्कर
उपराष्ट्रपति पद के लिए राजग ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया है। अब विपक्ष ने भी ज्यादा समय न गंवाते हुए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इससे पहले आज संसद भवन में हुई सर्वदलीय बैठक में भाजपा की तरफ से उपराष्ट्रपति के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश भी की हुई।
कब होगा मतदान
उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त 2022 को होगा। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं। इसमें मनोनित सदस्य भी शामिल होते हैं।
धनखड़ का पलड़ा भारी
चूंकि उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल दोनो सदनो के सांसद ही वोट डालते हैं इसलिए यहां राजग उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का पलड़ा भारी नजर आता है। मौजूदा समय में लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं, जबकि राज्यसभा में 91 हैं। अकेले भाजपा के सांसदो की संख्या ही 394 है। अगर सहयोगी दलों मनोनित सदस्यों को जोड़ दिया जाए तो ये संख्या आसानी से 450 तक पहुंच जाती है। संसद के दोनो सदनों में सदस्यों की मौजूदा संख्या के हिसाब से जीत के लिए केवल 391 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में विपक्ष का चुनाव लड़ना एक औपचारिकता भर ही है।