तमिलनाडु दिवस की तारीख बदलने पर विपक्षी दल ने की सरकार की आलोचना
By भाषा | Updated: October 31, 2021 20:42 IST2021-10-31T20:42:53+5:302021-10-31T20:42:53+5:30

तमिलनाडु दिवस की तारीख बदलने पर विपक्षी दल ने की सरकार की आलोचना
चेन्नई, 31 अक्टूबर तमिलनाडु दिवस की तारीख एक नवंबर के बजाय 18 जुलाई करने की मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की घोषणा की आलोचना करते हुए विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने कहा कि इससे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ की बू आ रही है। विपक्षी दलों ने इसे ‘अनुपयुक्त कदम’ करार दिया।
तमिलनाडु की पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के फैसले को पलटते हुए स्टालिन ने शनिवार को कहा था कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवंबर के बजाय 18 जुलाई को मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही सरकार की ओर से आदेश जारी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने शनिवार को कहा था कि एक नवंबर, 1956 को देश में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया था जिसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों को तत्कालीन मद्रास राज्य से ‘निकाल’ अलग कर दिया गया था।
अन्नाद्रमुक के समन्वयक ओ. पनीरसेल्वम ने कहा कि एक बच्चे का जन्मदिन उस दिन ही पड़ता है, जिस दिन उसका जन्म हुआ हो न कि जिस दिन उसे नाम दिया गया हो। वह द्रमुक के राज्य गठन दिवस की तारीख बदलने के पीछे मौजूदा नाम तमिलनाडु मिलने के तर्क का हवाला दे रहे थे।
18 जुलाई, 1967 को दिवंगत मुख्यमंत्री सी. एन. अन्नादुरई की अगुवाई में मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने के लिए विधानसभा में विधेयक का प्रस्ताव रखा था। हालांकि दो साल बाद ही यह लागू हो पाया, जब यह प्रस्ताव संसद में गया और तत्कालीन केंद्र सरकार ने नाम बदलने की अधिसूचना 1968 में जारी की और यह 14 जनवरी, 1969 को प्रभावी हुआ।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के एक बयान में कहा कि अगर मुख्यमंत्री के तर्क के हिसाब से ही चला जाए तो तमिलनाडु दिवस का उत्सव 14 जनवरी को मनाया जाना चाहिए। बच्चे का जन्मदिन उसी दिन मनाया जाना चाहिए, जिस दिन उसका जन्म हुआ हो। उन्होंने इसे इतिहास को दोबारा लिखने जैसा प्रयास करार देते हुए राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।
पनीरसेल्वम ने कहा कि मद्रास राज्य से अलग बने राज्य अपना गठन दिवस एक नवंबर को मनाते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह 18 जुलाई को तमिलनाडु दिवस मनाने के सरकार के फैसले को वापस ले लें। अन्नाद्रमुक की सहयोगी पार्टी भाजपा और अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) के नेता टीटीवी दिनाकरण ने भी राज्य सरकार के इस कदम का विरोध किया है।
भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने भी पनीरसेल्वम के बयान का समर्थन किया है कि बच्चे का जन्म जिस दिन होता हो, उसका जन्मदिन भी उसी दिन मनाया जाना चाहिए।
उन्होंने एक बयान में कहा कि द्रमुक सरकार की तरफ से तमिलनाडु दिवस की तारीख बदलना उचित कदम नहीं है। पूर्ववर्ती सरकार अन्नाद्रमुक ने इसकी घोषणा की थी और सिर्फ इसकी वजह से ऐसा करना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले दिवंगत एम. करुणानिधि के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार ने तमिल नव वर्ष को ‘चिथिराई ‘(अप्रैल) से बदलकर 'थाई’ में कर दिया था, जो जनवरी में पोंगल त्योहार के साथ पड़ता था। हालांकि, बाद में दिवंगत जे. जयललिता नीत अन्नाद्रमुक सरकार ने इसे पलट दिया था। दिनाकरण ने एक ट्वीट में कहा कि स्टालिन की यह ‘विवादित’ घोषणा ‘गैरजरूरी’ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
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