विपक्षी सांसदों ने संसदीय समिति की बैठक का किया बहिष्कार, मांग कर रहे थे मणिपुर हिंसा पर चर्चा की
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 6, 2023 02:57 PM2023-07-06T14:57:36+5:302023-07-06T15:00:29+5:30
विपक्षी दलों ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक का बहिष्कार किया है क्योंकि वो बैठक में मणिपुर में बीते 3 मई से जारी सामुदायिक हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे थे।
दिल्ली:मणिपुर में बीते 3 मई से जारी सामुदायिक हिंसा पर चर्चा की मांग खारिज होने के बाद विपक्षी दलों ने गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक का बहिष्कार किया है। जानकारी के मुताबित गुरुवार को बुलाई गई इस बैठक छोड़ने वालो में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन सहित विपक्ष के कुल तीन सांसद थे।
समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के अनुसार विपक्षी सांसदों ने संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजलाल ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा करने की मांग की लेकिन उन्होंने विपक्षी सांसद से कहा कि वह उनकी मांग नहीं मान सकते क्योंकि बैठक का एजेंडा पहले से ही तय है और उसे बदला नहीं जा सकता। इसके बाद विपक्षी दलों ने संसदीय समिति की बैठक से वॉकआउट कर गये। बैठक छोड़ने वाले विपक्षी संसदों में तीसरे सांसद कांग्रेस पार्टी के प्रदीप भट्टाचार्य थे।
जानकारी के अनुसार संसदीय समिति की यह बैठक जेलों की स्थिति, उनके बुनियादी ढांचे और सुधार पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी, जिसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना के जेल अधिकारियों को भी उनके विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया था। वहीं अन्य राज्यों के अधिकारियों के साथ समिति की ऐसी ही दो और बैठकें 19 और 27 जुलाई को प्रस्तावित हैं।
बताया जा रहा है कि बैठक शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों समिति के प्रमुख बृजलाल स मांग की किस वे बैठक के दौरान मणिपुर हिंसा पर भी चर्चा होने दें, जह समिति प्रमुख ने उनकी मांग को खारिज कर दिया तो विपक्षी सांसदो ने उन्हें कहा कि अगर वो उनकी मांग पर विचार नहीं करेंगे तो वह इस इस मुद्दे पर होने वाली आगामी बैठकों में शामिल नहीं होंगे।
उन्होंने वाकआउट के बाद समिति प्रमुख बृजलाल को अपनी मांग के बाबत एक पत्र भी सौंपा। जिसमें कहा गया कि समिति मणिपुर हिंसा पर तत्काल और अपेक्षित ईमानदारी के साथ चर्चा करे क्योंकि यह इस समिति की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है।
विपक्षी दलों ने इस बात को स्वीकार किया कि बैठक का एजेंडा तय करने का विशेषाधिकार संसदीय समिति के अध्यक्ष का है लेकिन विपक्षी सांसदों की मांग थी कि हम राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर चर्चा करने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते और इसलिए 6 जुलाई को आयोजित बैठक के बहिष्कार का विकल्प चुन रहे हैं।