पिछले साल 14 फरवरी के ही दिन पुलवामा आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ कर्मियों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक हमले में शहीद हुए जवानों को याद करते हुए शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं। भारत हमेशा हमारे बहादुरों और उनके परिवारों का आभारी रहेगा जिन्होंने हमारी मातृभूमि की संप्रभुता और अखंडता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
बता दें कि पुलवामा की घटना से सबक लेते हुए अब सीआरपीएफ के जवानों को काफिले मे ना ले जाकर उन्हें हवाई जहाज में भेजा जाता है। इतना ही नहीं अब सीआरपीएफ के जवानों को एयर इंडिया की फ्लाइट में दिल्ली से आने-जाने की फ्री सुविधा दी गई है।
इसके अलावा सप्ताह में 3 दिन, जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू एयर इंडिया की फ्लाइट चलती है। वहीं अगर कोई सीआरपीएफ जवान किसी प्राइवेट कंपनी के एयरलाइंस में यात्रा करता है तो उसे बिल जमा करने पर यात्रा के लिए खर्च की गई रासि वापस मिल जाती है।
हालांकि, अब भी काफिले में ही सीआरपीएफ से जुड़े उपकरण और महत्वपूर्ण सामान लाया-ले जाया जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ ने कॉन्वॉय के मूवमेंट की खास एसओपी तैयार की है। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से यहां पर सारी जानकारी नहीं दी जा रही है। इसके अलावा, इनमें से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव इस तरह हैं। जैसे- रोड ओपनिंग पार्टी में आधुनिक इक्विपमेंट को बढ़ावा मिला है। सीआरपीएफ ने एंटी सैबोटोज़ टीम की संख्या भी बढ़ाई है।
बता दें कि शहीद हुए सीआरपीएफ की याद में बनाए गए स्मारक का लेथपुरा कैंप में शुक्रवार को उद्घाटन किया जाएगा। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक जुल्फिकार हसन ने गुरुवार को स्मारक स्थल का दौरा करने के बाद कहा, '' यह उन बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने का तरीका है जिन्होंने हमले में अपनी जान गंवाई।’’ स्मारक में उन शहीद जवानों के नामों के साथ ही उनकी तस्वीरें भी होंगी।
साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का ध्येय वाक्य ‘‘सेवा और निष्ठा’’भी होगा। हसन ने यहां पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और हमने इससे सीख ली है। हम अपनी आवाजाही के दौरान हमेशा सतर्क रहते थे, लेकिन अब सतर्कता और बढ़ गयी है।’’ उन्होंने कहा कि 40 जवानों के सर्वोच्च बलिदान ने देश के दुश्मनों को खत्म करने का हमारा संकल्प मजबूत बना दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान अतिरिक्त जोश से लड़ते हैं और यही कारण है कि अपने जवानों पर हमले के तुरंत बाद हम जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों को खत्म करने में सफल रहे।’’ उन्होंने हालांकि उन सावधानियों के बारे में बताने से इंकार किया जो पिछले साल 14 फरवरी के हमले के बाद जवानों की आवाजाही के दौरान बरती जाती हैं। लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अब जवानों की आवाजाही अब अन्य सुरक्षा बलों और सेना के साथ समन्वय में होती है। गृह मंत्रालय ने इस तरह के किसी भी हमले की आशंका से बचने के लिए सीआरपीएफ को अपने जवानों को वायु मार्ग से ले जाने की अनुमति दी थी।
जम्मू कश्मीर सरकार ने जवानों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए सप्ताह में दो दिन निजी वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद बाद में आदेश को रद्द कर दिया गया। जवानों को ले जाने वाले वाहनों को बुलेट-प्रूफ बनाने की प्रक्रिया को तेज किया गया और सड़कों पर बंकर जैसे वाहन देखे जाने लगे।
यह स्मारक उस स्थान के पास सीआरपीएफ कैंप के अंदर बनाया गया है जहां जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अदील अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी कार सुरक्षा बलों के काफिले से टकरा दी थी। इस हमले में 40 कर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले के लगभग सभी षडयंत्रकारियों को मार गिराया गया है और जैश-ए-मोहम्मद का स्वयंभू प्रमुख कारी यासिर पिछले महीने मारा गया।