मस्तिष्क चोट जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर डॉक्टरों ने चोट के बाद ‘पहले घंटे’ के महत्व पर जोर दिया

By भाषा | Updated: March 19, 2021 19:14 IST2021-03-19T19:14:15+5:302021-03-19T19:14:15+5:30

On the eve of Brain Injury Awareness Day, doctors emphasized the importance of the 'first hour' after the injury. | मस्तिष्क चोट जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर डॉक्टरों ने चोट के बाद ‘पहले घंटे’ के महत्व पर जोर दिया

मस्तिष्क चोट जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर डॉक्टरों ने चोट के बाद ‘पहले घंटे’ के महत्व पर जोर दिया

नयी दिल्ली, 19 मार्च विश्व मस्तिष्क चोट जागरूकता दिवस की पूर्व संध्या पर डॉक्टरों ने चोट लगने के बाद ‘स्वर्णिम समय’- शुरुआती एक घंटे- के महत्व के प्रति पुलिस और आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसपर मौत और जिंदगी टिकी हुई है।

डॉक्टरों ने कहा कि अधिकतम मामलों में ‘स्वर्णिम समय’ मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के दौरान बर्बाद हो जाता है जिससे जटिलता उत्पन्न होती है और यहां तक पीड़ित की मौत भी हो जाती है।

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ.दीपक गुप्ता ने कहा कि मस्तिष्क चोट के कई मामलों में मरीजों की तुरंत सर्जरी करने की जरूरत होती है लेकिन अस्पताल लाने में देरी से स्थायी रूप से दिमाग को नुकसान होता है व इसकी वजह से बेहतर ट्रामा सेंटर होने के बावजूद खराब नतीजे सामने आते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘स्वर्णिम घंटे के बाद आने से मरीज का रक्त चाप गिर सकता है, दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो सकती है और इस दौरान रीढ़ में लगी चोट मस्तिष्क चोट को और गंभीर बना देती है।’’

डॉक्टर गुप्ता ने समय से इलाज पर जोर देते हुए कहा, ‘‘हमारे पास ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें पहले तीसरे या चौथे स्तर के अस्पताल में 12 घंटे से अधिक समय तक भर्ती किया गया होता है लेकिन न्यूरोसर्जन नहीं होने की वजह से यहां स्थानांतरित किया जाता है। पुलिस और पीसीआर वैन के पास सड़क हादसे में घायल मरीज को इलाज के लिए ले जाते समय उन अस्पतालों की जानकारी होनी चाहिए जहां पर मस्तिष्क चोट का इलाज किया जाता है और उन्हें कागजी कार्रवाई में समय जाया नहीं करना चाहिए।’’

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में मस्तिष्क एवं रीढ़ सर्जनी के वरिष्ठ डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि खासतौर पर सड़क हादसे के बाद मस्तिष्क चोट के मामले में प्राथमिक मदद उपब्लध कराने वाले पुलिस कर्मियों एवं ट्रैफिक पुलिस को इसका प्रशिक्षण देना चाहिए।’’

डॉ.गुप्ता ने बताया कि हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत भारत में मस्तिष्क की चोट की वजह से होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में हर साल 10 लाख से अधिक लोगों के मस्तिष्क में चोट लगती है। इनमें से आधे की मौत हो जाती है, सामान्यत: इनकी मौत चोट लगने के शुरुआती कुछ घंटों में हो जाती है। केवल पांच से 10 प्रतिशत मरीज ही शरुआती स्वर्णिम घंटे में ऐसे अस्पताल में पहुंच पाते हैं जहां पर इनके इलाज की उचित व्यवस्था है।

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Web Title: On the eve of Brain Injury Awareness Day, doctors emphasized the importance of the 'first hour' after the injury.

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