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ओला कैब में नहीं काम कर रहा था एसी, हर्जाने के तौर पर शख्स को मिलेंगे अब 15 हजार रुपये, जानें पूरा मामला

By सत्या द्विवेदी | Updated: January 27, 2023 15:22 IST

बेंगलुरू के रहने वाले एक कारोबारी ने 'ओला कैब' कंपनी पर केस कर दिया था। जिसकी सुनवाई पर कोर्ट ने कैब कंपनी को 15000 रुपए देने का आदेश दिया

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ठळक मुद्देओला कैब पर लगा 15 हजार का जुर्मानाग्राहक ने बुक की थी ओला की प्राइम सेडान कार8 घंटे एसी काम न करने के बाद भी देना पड़ा था पूरा किरायाग्राहक पहुंचा उपभोक्ता फोरम, कैब कंपनी पर किया केस

बेंगलुरु: कर्नाटक के बेंगलुरु में एक शख्स ने कैब में खराबी होने पर कैब कंपनी पर केस दायर किया था। इसके बाद अलादत ने कैब कंपनी पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। उसने एग्रीगेटर से किराए पर जिस कैब को लिया था उसका एयर-कंडीशनर आठ घंटे तक काम नहीं किया। इसके बाद भी कैब किराए के रूप में उस से 1837 रुपए देनें पड़े। 

क्या है मामला

18 अक्टूबर 2021 को बेंगलुरु के रहने वाले एक कारोबारी विकास भूषण ने 80 किमी यात्रा करने के लिए ओला प्राइम सेडान बुक की। उसमें एसी काम नहीं कर रहा था। जिसके बाद उन्होंने यात्रा के दौरान ही शिकायत दर्ज करने की कोशिश की लेकिन उन्हें ऐप में कोई विक्लप नहीं मिला। जिसके बाद भी उन्हें कैब का पूरा किराया देना पड़ा।

यात्रा खत्म होने के बाद कारोबारी ने ओला के कस्टमर केयर से बात करने की कोशिश की और बताया कि एसी भी किराया का हिस्सा था। उसे रास्ते में एसी न होने की वजह से दिक्कत हुई, जिसके चलते कारोबारी ने रिफंड की बात कही।  कैब फर्म के प्रतिनिधियों ने भूषण को बताया कि रेट कार्ड के हिसाब से शुल्क लिया गया है और एसी के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है।  

कैब  कंपनी से रिस्पॉन्स न मिलने पर मामला उपभोक्ता फोरम पहुंचा

ग्राहक ने ओला के को-फाउंडर भाविश अग्रवाल को ईमेल किए और ट्विटर पर उन तक पहुंचने की कोशिश की। लेकिन दोनों प्लेटफॉर्म पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद भूषण ने 11 नवंबर, 2021 को ओला के जरिए सेवा में कमी बताई और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कर रिफंड की मांग की। ओला ने आखिर में एक ईमेल के जरिए यह स्वीकार किया कि एसी को सेवा में शामिल किया गया था, लेकिन रिफंड से इनकार कर दिया। कंपनी ने इसके बदले ग्राहक को 100 रुपये का कूपन देने की पेशकश की।

कोर्ट ने 60 दिन में मुआवजा देने को कहा 

ओला के वकील ने निर्धारित 45 दिनों की अवधि के बाद ही एग्रीगेटर का पक्ष दायर किया। ओला के वकील की ओर से दायर याचिका को अदालत ने 7 नवंबर, 2022 को खारिज कर दिया। न्यायाधीशों ने कहा, 'ओला वादे के अनुसार ग्राहकों को सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है। कैब कंपनी ने आठ घंटे की पूरी यात्रा अवधि के लिए एसी सेवा प्रदान किए बिना ग्राहकों को असुविधा और मानसिक पीड़ा दी है। सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए ओला दोषी है।' 

18 जनवरी, 2023 को सुनाए गए फैसले में अदालत ने कहा कि, 'भाविश अग्रवाल को असुविधा और मानसिक पीड़ा के लिए ग्राहक को 10,000 रुपये का मुआवजा देना होगा।' साथ ही शिकायतकर्ता के 5,000 रुपये के मुकदमेबाजी खर्च को वहन करने के अलावा उसे 1,837 रुपये का यात्रा किराया ब्याज सहित 60 दिनों के भीतर वापस करने का निर्देश दिया।

टॅग्स :ओलाBangalore
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