असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू होने के बाद दिल्ली में बयानबाजी का दौर जारी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली में भी एनआरसी लागू किए जाने की मांग की थी। इस पर केजरीवाल ने उनपर तंज कसते हुए कहा था कि एनआरसी लागू हुई तो तिवारी को दिल्ली छोड़ना पड़ेगा। अब इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई है।
मनोज तिवारी ने बुधवार को कहा, 'क्या वह यह कहना चाहते हैं कि पूर्वांचल के लोग घुसपैठिए हैं? क्या दूसरे राज्य के लोगों को सीएम विदेशी मानते हैं? मुझे लगता है कि उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। एक आईआरएस अफसर को कैसे नहीं पता कि एनआरसी क्या है?'
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने लिखा, 'उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और बिहार से लोग दिल्ली रोजगार के लिए आते हैं, दिल्ली के विकास में बराबर के भागीदार है। वो चोर नहीं है। अगर दिल्ली में NRC लागू होगा तो इन सबको दिल्ली छोड़कर जाना होगा। आप इनके खिलाफ क्यों हैं?'
राष्ट्रीय नागरिक पंजी का बचाव करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने शुक्रवार को कहा था कि भारत कोई ‘‘धर्मशाला नहीं है।’’ अभी तक राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) सिर्फ असम में प्रकाशित हुई है और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पूरे देश में लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत देश के मूल नागरिकों की पहचान कर उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाता है।