अमरावती भूमि सौदे की एसआईटी जांच पर रोक के खिलाफ आंध्र प्रदेश की याचिका पर नोटिस

By भाषा | Published: November 5, 2020 09:44 PM2020-11-05T21:44:18+5:302020-11-05T21:44:18+5:30

Notice on Andhra Pradesh petition against stay on SIT probe of Amravati land deal | अमरावती भूमि सौदे की एसआईटी जांच पर रोक के खिलाफ आंध्र प्रदेश की याचिका पर नोटिस

अमरावती भूमि सौदे की एसआईटी जांच पर रोक के खिलाफ आंध्र प्रदेश की याचिका पर नोटिस

नयी दिल्ली, पांच नवंबर उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश के अमरावती राजधानी क्षेत्र में चंद्रबाबू नायडू सरकार के कार्यकाल के दौरान भूमि सौदों में कथित अनियमितताओं की एसआईटी जांच पर उच्च न्यायालय की रोक के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर बृहस्पतिवार को नोटिस जारी किये।

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने तमाम अनियमितताओं, विशेषकर अमरावती राजधानी क्षेत्र में भूमि सौदे, की विस्तृत जांच के लिये मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार द्वारा गठित एसआईटी की कार्रवाई पर 16 सितंबर को रोक लगा दी थी।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार की अपील पर तेलुगू देसम पार्टी के नेताओं-वर्ला रमैया और अलापति राजेन्द्र प्रसाद को नोटिस जारी किये। इन्हीं दो नेताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने एसआईटी की जांच पर रोक लगायी थी।

पीठ ने इन दोनों नेताओं को नोटिस जारी करने के साथ ही इन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि इस मामले में अगली तारीख पर अंतिम रूप से सुनवाई करके राज्य सरकार की याचिका का निस्तारण कर दिया जायेगा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका और अंतरिम राहत के लिये आवेदन पर नोटिस जारी किया जाये। इसका जवाब चार सप्ताह के भीतर देना होगा। प्रतिवादी सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपने जवाब दाखिल कर सकते हैं। न्यायालय इस मामले का अंतिम रूप से फैसला कर सकता है। याचिकाकर्ताओं को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की छूट दी जाती है।’’

इस मामले की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और शेखर नफड़े ने कहा कि विशेष जांच दल के काम पर रोक लगाकर उच्च न्यायालय ने गलती की है क्योंकि भूमि के सौदों में की गयी अनियमितताओं की जांच कराने का नीतिगत फैसला था।

दवे ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह ‘कठोर आदेश’ था जिसके माध्यम से उसने राज्य के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विभाजन के बाद अमरावती में हुये भूमि सौदों में हुयी कथित अनियमितताओं की जांच पर रोक लगा दी।

उन्होंने कहा कि राज्य की कैबिनेट ने लोगो को हुयी परेशानियों पर गौर करने और अनियमितताओं के आरोपों की जांच कराने का निर्णय लिया था। इसके बाद अनियमितताओं की शिकायतों पर विचार करने के लिये मंत्रिपरिषद की एक उपसमिति गठित की गयी थी।

दवे ने कहा कि दिसंबर 2019 में मंत्रिपरिषद की उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और इसमें सुझाव दिया कि अमरावती राजधानी क्षेत्र में कथित भूमि सौदों की सीबीआई जांच या एसआईटी से जांच का आदेश दिया जाये।

उन्होंने पीठ से कहा, ‘‘इस उप समिति की पूरी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करूंगा जिसे भूमि आबंटन में अनेक अनियमितताओं को पता चला था।’’ उन्होंने कहा कि इसके बाद ही राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया था।

पीठ ने जब यह सवाल किया कि सीबीआई जांच के लिये केन्द्र को लिखे पत्र का क्या हुआ तो वरिष्ठ अधिवक्ता ने जवाब दिया कि उन्हें अभी तक इसका जवाब नहीं मिला है।

दवे ने कहा, ‘‘एसआईटी ने काम की शर्तो के अनुसार जांच शुरू की थी।’’ उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता था क्योकि यह जनहित याचिका नहीं थी जिसकी वह सुनवाई कर रहा था बल्कि यह रिट याचिका थी जिसे तेलुगू देसम के नेताओं ने दायर किया था।

उन्होंने कहा कि पहले तो उच्च न्यायालय को तेलुगू देसम पार्टी के नेताओं की याचिका पर विचार ही नहीं कर सकता था लेकिन उसने तो नीतिगत फैसले पर रोक लगा दी जो समुचित जांच के बाद लिया गया था।

पीठ ने उच्च न्यायालय की टिप्पणियों की ओर दवे का ध्यान आकर्षित किया कि राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के सभी फैसलों की समीक्षा करने का निर्णय किया है और सवाल किया कि क्या यह सही है?

दवे ने जवाब दिया, ‘‘नहीं, पूर्ववर्ती सरकार के सिर्फ उन्हीं फैसलों की समीक्षा हो रही है जिनमें गंभीर अनियमितताएं हुयी हैं।’’

दवे ने कहा कि सरकार इन अनियमितताओं के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज करने की जल्दबाजी में नही थीं और उसने उप समिति की रिपोर्ट के लिये छह महीने इंतजार किया जिसने इस विषय की गहराई से छानबीन की।

उन्होंने राज्य सरकार की अपील पर नोटिस जारी करने और इसे लंबित रखने की बजाये अंतिम रूप से इस पर निर्णय करने का अनुरोध किया।

पीठ ने इस सुझाव से सहमति व्यक्त की और दवे तथा प्रतिवादियों से कहा कि वे अतिरिक्त दस्तावेज और जवाबी हलफनामे दाखिल करें।

राज्य सरकार ने 21 फरवरी को चंद्रबाबू नायडू के कार्यकाल में हुयी कथित अनियमितताओं, विशेषकर अमरावती राजधानी क्षेत्र में भूमि सौदे, की जांच के लिये पुलिस उप महानिरीक्षक रैंक के आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में दस सदस्य विशेष जांच दल गठित किया था।

Web Title: Notice on Andhra Pradesh petition against stay on SIT probe of Amravati land deal

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