"देश की सेवा करने का हर किसी को मौका नहीं मिलता, गर्व..", डोडा हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिजन बोले
By आकाश चौरसिया | Updated: July 17, 2024 10:48 IST2024-07-17T10:29:53+5:302024-07-17T10:48:52+5:30
राजस्थान के झुंझुनू के दो गांवों में भी इसी तरह का मातम छाया हुआ, जहां डोडा हमले में दो जवान 24 वर्षीय अजय सिंह और 26 वर्षीय बिजेंद्र सिंह के शहीद हो जाने से पूरा गांव सख्ते में है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
नई दिल्ली: अपने पिता नार बहादुर थापा की तरह कर्नल भुवनेश थापा ने भी 34 साल सेना में सर्व किए और फिर साल 2014 में वो शहीद हो गएं। फिर, पांच साल बाद उनके बेटे ब्रिजेश थापा ने परिवार की परंपरा को जारी रखते हुए संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) एग्जाम पास किया और सेना में शामिल हो गए। हालांकि, बेटे को मिली सफलता से उनके पिता भुवनेश थापा काफी खुश थे, लेकिन सोमवार की रात 10:30 बजे उन्हें कॉल आया, जिसके बाद उनकी खुशी दुख में बदल गई और इसमें उन्हें बताया गया कि जम्मू के डोडा में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में उनके बेटे शहीद हो गए हैं।
मूल रूप से दार्जिलिंग में लेबोंग के पास बड़ा गिंग के निवासी, कैप्टन थापा, जिन्होंने एक छात्र के रूप में बीटेक की पढ़ाई की, संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 2019 में सेना में शामिल हुए। सिलीगुड़ी में रह रहे भुवनेश थापा ने कहा, "मैं बेटे के लिए काफी गर्व महसूस कर रहा हूं कि उसने देश के लिए कुछ किया। लेकिन हम उसे अपने जीवन में हमेशा याद रखेंगे"।
शहीद कर्नल ब्रिजेश थापा की मां नीलीमा थापा बताती हैं कि उनकी बेटे से आखिरी बार रविवार को बात हुई थी, जब उन्होंने कहा कि जहां वह तैनात थे वह मोर्चा काफी दूर है और वहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता था। लेकिन, इस बीच उन्होंने ये भी बताया कि ब्रिजेश जल्द ही घर वापस आएंगे, लेकिन उस दौरान की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। ब्रिजेश ने फोन पर बताया कि आगे कुछ कंफर्म कहा भी नहीं जा सकता है। कैप्टन थापा का शव बुधवार को बागडोगरा हवाईअड्डे पर पहुंचने की उम्मीद है और उनका अंतिम संस्कार बड़ा गिंग में किया जाएगा।
दूसरी ओर राजस्थान के झुंझुनू के दो गांवों में भी इसी तरह का मातम छाया हुआ था, जहां 24 वर्षीय अजय सिंह और 26 वर्षीय बिजेंद्र सिंह के शहीद हो जाने से पूरा गांव सख्ते में है। भेसावट के अजय के परिवार को उनकी मृत्यु की सूचना मंगलवार सुबह दी गई, उनका पार्थिव शरीर बुधवार को उनके गांव पहुंचने वाला है। थापा की तरह, अजय के पिता कमल सिंह भी सेना में हैं और 2015 में सेवानिवृत्त हुए, उनके चाचा कमल नरूका वर्तमान में सिक्किम में 23 राजपूत रेजिमेंट में कार्यरत हैं।
अजय सिंह के छोटे भाई रविंद्र ने कहा, हमारे परिवार से कई लोग सेना में नौकर कर चुके हैं। हमारी सुबह भी आम दिन की तरह रही, लेकिन अचानक से अजय भईया की मृत्यु की खबर प्राप्त हुई और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उन्होंने कहा कि हर किसी को मौका नहीं मिलता है देश की सेवा करने का और देश के लिए कुर्बान होने का।
बिजेंद्र सिंह की शहीद होने की खबर आने के बाद झुंझुनू के डुमोली कलां की ढांडी गांव में भी शोक छा गया। सिंह साल 2018 में सेना में शामिल हुए थे और उनके 2 बेटे हैं। वह आखिरी बार फरवरी में गांव आए थे और इसकी खबर सबसे पहले बिजेंद्र के भाई दशरथ सिंह को दी गई, जो भी सेना में हैं और लखनऊ में तैनात हैं।