मनोनीत विधायक अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन के शेष कार्यकाल तक मंत्री नहीं रह सकते : न्यायालय
By भाषा | Updated: January 28, 2021 21:42 IST2021-01-28T21:42:01+5:302021-01-28T21:42:01+5:30

मनोनीत विधायक अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन के शेष कार्यकाल तक मंत्री नहीं रह सकते : न्यायालय
नयी दिल्ली, 28 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि विधानसभा के किसी सदस्य (एमएलए) को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाता है, तो उन्हें सदन के शेष कार्यकाल तक मंत्री नहीं बनाया जा सकता है, भले ही उन्हें विधान परिषद का सदस्य (एमएलसी) मनोनीत किया गया हो।
उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि दलबदल विरोधी कानून के तहत भाजपा विधायक एएच विश्वनाथ की अयोग्यता मई 2021 तक जारी रहेगी। इसके साथ ही राज्य की बीएस येदियुरप्पा सरकार में मंत्री बनने की उनकी उम्मीदें धराशायी हो गयी थीं।
न्यायालय ने कहा कि अगर वह एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते तो यह और मामला हो सकता था लेकिन चूंकि उन्हें विधान परिषद में मनोनीत किया गया है, इसलिए वह मंत्री नहीं बन सकते।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश के खिलाफ विश्वनाथ द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।
विश्वनाथ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने शुरुआत में कहा कि यह मुद्दा संविधान के प्रावधानों की कानूनी व्याख्या से संबंधित है जो सदन के सदस्य के अयोग्य होने से संबंधित है।
उन्होंने कहा कि उनकी अयोग्यता उस कार्यालय की क्षमता तक सीमित है जहां से उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था।
पीठ ने कहा कि प्रावधान के अनुसार, अयोग्यता प्रभावी रहेगी, यदि व्यक्ति विधान परिषद के लिए मनोनीत किया जाता है और चुना नहीं जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते हैं, तो आप सरकार में मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यदि आप मनोनीत हैं, तो आप मंत्री नहीं बन सकते। उच्च न्यायालय का फैसला सही है। हम आपकी विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर रहे हैं।
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