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एनआईए द्वारा जांच अपने हाथ में लिये जाने तक एटीएस के पड़ताल करने पर रोक नहीं : न्यायालय

By भाषा | Updated: October 20, 2021 20:07 IST

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नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र में आईएसआईएस के एक संदिग्ध सदस्य की गिरफ्तारी के मामले में जब तक एनआईए मुंबई जांच शुरू नहीं करती, तब तक एटीएस नांदेड़ के पड़ताल जारी रखने पर रोक नहीं है।

न्यायालय नासिर बिन अबू बक्र यफई की अपील पर सुनवाई कर रहा था जिसे महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने 2016 में परभणी जिले से गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत आरोप लगाया गया था।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि एनआईए कानून की धारा 6 (7) के तहत एनआईए मुंबई द्वारा जांच अपने हाथ में लिए जाने तक एटीएस नांदेड़ का जांच जारी रखना वैध है। पीठ ने कहा कि निर्देश जारी किए जाने और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा वास्तविक रूप से जांच अपने हाथ में लेने के बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों के मद्देनजर जांच में कोई खाई नहीं होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि पुलिस को सूचना मिलने पर जांच शुरू होती है और पुलिस संज्ञेय अपराध के बारे में खुलासा करती है। लेकिन इस तरह की जानकारी (प्राथमिकी के जरिए) की प्राप्ति और उसे दर्ज किए जाने का मतलब यह नहीं है कि जांच शुरू हो गयी है।

पीठ ने कहा कि जांच तब शुरू होती है जब पुलिस इस तरह की जानकारी के आधार पर (सबूत इकट्ठा करने या गवाह से बात करने या आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का) पहला कदम उठाती है। पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में एटीएस नांदेड़ का कर्तव्य था कि वह एनआईए मुंबई द्वारा जांच अपने हाथ में लेने तक अपनी पड़ताल जारी रखे।

पीठ ने कहा कि इस मामले में, यह जानकारी मिलने पर कि याफाई इंटरनेट पर आईएस-आईएसआईएस-आईएसआईएल-डैश के सदस्यों के संपर्क में है, 14 जुलाई 2016 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एटीएस नांदेड़ ने जांच शुरू की थी और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके बाद, मामले की गंभीरता को देखते हुये केन्द्र सरकार ने एनआईए कानून की धारा 6 (4) के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए आठ सितंबर, 2016 को एनआईए, मुंबई को इस मामले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया था। एनआईए मुंबई ने 23 नवंबर, 2016 को एनटीएस नांदेड़ को यह मामला उसे सौंपने की जानकारी दी और आठ दिसंबर, 2016 को एटीएस ने इस मामले का रिकार्ड एनआईए, मुंबई को सौंपा था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि एनआईए द्वारा दाखिल मामले को नयी संख्या देने मात्र से इसकी जांच जारी रखने के एटीएस के अधिकार खत्म नहीं होते हैं। एटीएस नांदेड़ एनआईए, मुंबई को सारा रिकार्ड मिलने तक एनआईए कानून की धारा 6 (7) के प्रावधान के अनुरूप अपनी जांच जारी रख सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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