कोई पुरोहित हटाया नहीं गया, सभी जातियों के अर्चक नियुक्त करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ:सरकार

By भाषा | Updated: August 17, 2021 18:25 IST2021-08-17T18:25:58+5:302021-08-17T18:25:58+5:30

No priest was removed, no violation took place in appointing archakas of all castes: Government | कोई पुरोहित हटाया नहीं गया, सभी जातियों के अर्चक नियुक्त करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ:सरकार

कोई पुरोहित हटाया नहीं गया, सभी जातियों के अर्चक नियुक्त करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ:सरकार

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि सभी जातियों से नयी नियुक्तियां करने के लिए मंदिरों के किसी भी सेवारत पुरोहित को नहीं हटाया गया है और यदि ऐसा कोई मामला सबूत के साथ पेश किया जाता है तो उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री के बयान से पहले हिंदू धर्म एवं परमार्थ प्रदाय (एचआरसीई) मंत्री पी के सेकर बाबू ने कहा था कि किसी भी ब्राह्मण पुरोहित को निशाना नहीं बनाया गया है और यह कि उनके विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में पुरोहित के रूप में सभी जातियों के लोगों की नियुक्ति करके किसी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। स्टालिन ने कहा कि ‘थंथाई पेरियार के हृदय के कांटों’ को हटाने के इच्छुक दिवंगत मुख्यमंत्री कलैगनार की कानूनी पहल को लागू करते हुए उन आकांक्षियों की नियुक्ति की गयी है जो मंदिरों में पुरोहित कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लेकिन कुछ लोग इस कदम को बर्दाश्त नहीं कर पाये और उन्होंने इस पहल को पटरी से उतारने की कोशिश के तहत सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया। कलैगनार शब्द दिवंगत मुख्यमंत्री एम करूणानिधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि सुधारवादी नेता ई वी रामास्वामी थंथाई पेरियार के नाम से जाने जाते हैं। ‘‘थंथाई पेरियार के हृदय के कांटों’ हिंदू धर्म के सभी धर्मावलंबियों, भले ही उनकी कोई भी जाति हो, के लिए मंदिरों में पूजा का समान अवसर सुनिश्चित करने के पेरियार के सपने को पूरा करने के लिए द्रमुक द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ‘ लोकोक्ति’ है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि किसी भी नयी नियुक्ति के लिए किसी भी पुरोहित को उनके काम से नहीं हटाया गया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार के संज्ञान में सबूत के साथ यह लाया जाता है कि कहीं उसके विपरीत हुआ है तो ‘‘ इस पर संदेह करने की कोई जरूरत नहीं है कि सरकार उपयुक्त कार्रवाई करेगी। ’’ स्टालिन ने कहा कि लोगों को पता है कि कुछ लोगों ने या तो अपने राजनीतिक झुकाव के कारण इस कदम के विरूद्ध काम किया, या वे बस इस पहल को मटियामेट कर देना चाहते हैं जबकि इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय लाना है। एचआरसीई मंत्री ने इस बात से भी इनकार किया कि नये अर्चकों की नियुक्ति के दौरान ब्राह्मण पुरोहितों खासकर अर्चकों एवं भट्टाचार्य को चुनिंदा ढंग से निशाना बनाया गया। मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अर्चक के रूप में जिन 58 व्यक्तियों की नियुक्ति की गयी वे पूरी तरह योग्य हैं और संविधान का कोई उल्लंघन नहीं किया गया जैसा कि पुरोहितों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है।’’ वर्तमान ब्राह्मण पुरोहितों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है कि सोमवार को उनकी सेवाएं अचानक खत्म कर दी गयी हैं और उनकी जगह नये अर्चक नियुक्त कर दिये गये। इस आरोप पर बाबू ने दावा किया, ‘‘ कुछ हिंदुत्व शक्तियों ने, जो यह नहीं चाहती हैं कि अन्य लोग जीवन में आगे बढ़ें, यह शरारतपूर्ण अभियान चलाया है।’’ मंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने अगम शास्त्र में प्रशिक्षण प्राप्त किया और 35 साल से कम उम्र हैं , उन्हें अर्चक नियुक्त किया गया हैं । उन्होंने कहा कि यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि के फैसले के अनुरूप हैं जो चाहते थे कि सभी जातियों के लोग मंदिरों के पुरोहित बनें। बाबू ने कहा, ‘‘ कलैंगनार (करूणानिधि को इस नाम से जाना जाता है) ने एचआरएंड सीई अधिनियम (1971 में) संशोधन सुनिश्चित किया एवं मंदिरों के लिए पुरोहितों की वंशानुगत नियुक्ति की पारंपरिक प्रथा खत्म कर दी। ’’ उन्होंने कहा कि यदि दबे-कुचले वर्गों के उत्थान के लिए संघर्ष करना गलती है तो ‘ वर्तमान मुख्यमंत्री एम के स्टालिन उस गलती को बार बार करेंगे।’’ उन्होंने दावा किया कि किसी भी ब्राह्मण पुरोहित की सेवा खत्म नहीं की गयी है और आश्वासन दिया कि यदि कोई शिकायत सामने आती है कि उन्हें मंदिर छोड़ने को कहा गया है, तो सरकार उसकी जांच कराएगी।

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Web Title: No priest was removed, no violation took place in appointing archakas of all castes: Government

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