राज्य में नवनियुक्त सलाहकारों को कोई मंत्री का दर्जा या कोई लाभ नहीं मिलेगा: गहलोत

By भाषा | Published: November 28, 2021 09:15 PM2021-11-28T21:15:48+5:302021-11-28T21:15:48+5:30

No ministerial status or any benefit will be given to newly appointed advisors in the state: Gehlot | राज्य में नवनियुक्त सलाहकारों को कोई मंत्री का दर्जा या कोई लाभ नहीं मिलेगा: गहलोत

राज्य में नवनियुक्त सलाहकारों को कोई मंत्री का दर्जा या कोई लाभ नहीं मिलेगा: गहलोत

जयपुर, 28 नवंबर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि जिन विधायकों को उनका सलाहकार नियुक्त किया गया है या जिनको संसदीय सचिव नियुक्त किया जायेगा उन्हें कोई मंत्री का दर्जा या कोई लाभ नहीं मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को मंत्रिमंडल पुनर्गठन के तुरंत बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन कांग्रेस के विधायकों समेंत छह विधायकों को अपना सलाहकार नियुक्त किया था।

उन्होंने कहा कि ‘‘मै सिर्फ सलाह ले रहा हूं.. सबको मालूम है पहले संसदीय सचिव बनते थे उनकी शपथ होती थी.. मुख्यमंत्री शपथ दिलाते थे और आफिस ऑफ प्रोफिट में आते थे। अब उच्च्तम न्यायालय के आदेश के बाद में कोई भी राज्य सरकारे .. स्टेटस जो पहले मिलता था राज्यमंत्री का, केबिनेट मंत्री का वो नहीं मिल सकता है, सुविधाएं नहीं मिल सकती है, तनख्वाहें नहीं मिल सकती है उनको आप घटा दो तो आप भले ही संसदीय सचिव बनाओ.. चाहे आप सलाहकार बनाओ.. कौन आपको रोकेगा.. साधारण सी बात है ।

विपक्षी भाजपा ने मुख्यमंत्री के सलाहकारों की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक बताया और संभावित संसदीय सचिवों की नियुक्तियों पर भी आपत्ति जताई है।

भाजपा की ओर से दिये गये ज्ञापन पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने सलाहकारों की नियुक्ति की संवैधानिक स्थिति पर स्पष्टता मांगी है।

गहलोत ने कहा कि ‘‘ केन्द्र सरकार को चाहिए कि तेल कंपनियों को अनुदान दे, अगर अनुदान जो हकदार है.. बजाय उसके कि पेट्रोल डीजल पर लगातार प्रतिदिन कीमते बढाकर जनता पर भार डाले.. उसकी बजाय वो कंपनियों को अनुदान दे।’’

उन्होंने कहा कि ईंधन पर कीमते बढने का और महंगाई का दोनों का संबंध है।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भारत सरकार की गलत नीतियों के कारण से महंगाई बढ़ रही है क्योंकि देश में संविधान के अंतर्गत संघवाद का जो सिस्टम है उसको या तो वो समझ नहीं पा रहे हैं वो.. क्योंकि ऐसा कभी होता नहीं है कि राज्यों को कमजोर करो।’’

उन्होंने कहाख, ‘‘अभी भारत सरकार की जो नीतियां हैं.. उससे राज्यों का वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा रहा है और पूरे देश के अंदर कर्जे लेकर अधिकांश राज्य सरकारें अपना काम चला रही है.. जो नहीं होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ राज्य सरकारें मजबूत होंगी तो देश का विकास होगा। जो योजनाएं बनती है चाहे वो केन्द्र सरकार बनाये या राज्य सरकारें.. वो योजनाएं लागू राज्य सरकार करती हैं.. तो राज्य सरकारों को मजबूत करेंगे तो यह नौबत नहीं आयेगी।’’

गहलोत ने कहा कि केन्द्र ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पेट्रोल डीजल के दाम कम किए है और लोग इसे समझते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र ने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्र और राज्यों के हिस्सेदारी में परिवर्तन करने से राज्यों पर बोझ पडा है।

उन्होंने केन्द्र से राजस्थान की पूर्व भाजपा सरकार तैयार की गई पूर्वी नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग को दोहराते हुए कहा कि इस परियोजना से राज्य के 13 जिलों में पानी संबंधी समस्याओं का समाधान होगा और इसके महत्व को देखते हुए केन्द्र को इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए।

उन्होंने जोधपुर से सांसद और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर निशाना साधा और कहा वह इस परियोजना में राज्य को किसी प्रकार की मदद करने में विफल रहे।

उन्होंने कहा कि देश के अंदर राजस्थान में सबसे अधिक रोजगार मिल रहा है। अब तक एक लाख लोग तो नौकरी लग चुके है। 77 हजार लोगो की नौकरियों की प्रक्रिया चल रही है।

उन्होंने कहा कि देश में आज दो प्रमुख मुद्दे है पहला महँगाई और दूसरा रोजगार। इन दोनों ही समस्याओं का समाधान करने में केन्द्र सरकार असफल है। उन्होंने कहा कि केन्द्र के नेता जब भी बात करते है तो इन दोनों मुद्दों को नजरअंदाज कर देते है जबकि देश की जनता महँगाई एवं बेरोजगारी से त्रस्त है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आयोजित होने वाली इस रैली में राजस्थान से सभी कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में बढ़-चढक़र भाग लेंगे तथा रैली को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान से करीब 50 हजार पार्टी कार्यकर्ता दिल्ली में रैली में भाग लेंगे।

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